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चुनाव आयोग की चेतावनी के बाद भी बीजेपी ने दोहराया 'मुसलमान' मुद्दा

प्रधानमंत्री मोदी के जिस 'मुस्लिम' वाले बयान के लिए बीजेपी को चुनाव आयोग से चेतावनी मिली है, उसी बयान को अब फिर से बीजेपी ने और मज़बूती से दोहराया है। 

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शुक्रवार को लोकसभा चुनाव घोषणापत्र को लेकर कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि सबसे पुरानी पार्टी का छिपा हुआ एजेंडा पिछड़े वर्गों और गरीबों के अधिकारों को छीनना और तुष्टिकरण की राजनीति के लिए मुसलमानों को देना है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी कुछ ऐसा ही आरोप लगाया था। दरअसल, ऐसा आरोप लगाने की शुरुआत खुद प्रधानमंत्री मोदी ने ही की थी। अब जेपी नड्डा ने इस बयान को दोहराया है और बीजेपी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से इस बयान को ट्वीट भी किया है।

नड्डा ने क्या कहा है, इसको जानने से पहले यह जान लें कि पीएम मोदी ने क्या कहा है और चुनाव आयोग ने इस पर चेतावनी क्यों जारी की है। प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस धन का पुनर्वितरण करना चाहती है और वह सत्ता में आने पर लागू कर देगी। उन्होंने कहा है कि इस कथित योजना के तहत घरों और आभूषणों सहित निजी संपत्ति को छीन लिया जाएगा और पुनर्वितरित किया जाएगा। उन्होंने पिछले रविवार को आरोप लगाया था कि कांग्रेस इसका पुनर्वितरण 'ज़्यादा बच्चे वालों' और 'घुसपैठियों' को करेगी।

पीएम मोदी ने रविवार को चुनावी रैली में कहा था, 'उन्होंने (कांग्रेस ने) कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब, ये संपत्ति इकट्ठी कर किसको बाँटेंगे? जिनके ज़्यादा बच्चे हैं उनको बाँटेंगे। घुसपैठिए को बाँटेंगे। ...ये कांग्रेस का मैनिफेस्टो कह रहा है... कि माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे। ...जानकारी लेंगे और फिर संपत्ति को बाँट देंगे। और उनको बाँटेंगे जिनको मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी माताओ, बहनो, ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे।' 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस टिप्पणी पर भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया। चुनाव आयोग ने भाजपा प्रमुख से उनकी टिप्पणियों के संबंध में कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआई (एमएल) और नागरिक समाज समूहों द्वारा दायर शिकायतों पर सोमवार तक जवाब मांगा है।
प्रधानमंत्री द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद एक बड़ा राजनीतिक टकराव शुरू हो गया कि कांग्रेस लोगों की संपत्ति को मुसलमानों में फिर से वितरित करना चाहती है और विपक्षी दल महिलाओं के 'मंगलसूत्र' को भी नहीं बख्शेगा।

बाद में विपक्षी दलों ने पीएम मोदी पर झूठे दावे करने का आरोप लगाया, जबकि बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस मुस्लिम तुष्टिकरण का एजेंडा चला रही है।

चुनाव आयोग ने पीएम मोदी के साथ ही राहुल गांधी को भी नोटिस भेजा है। भाजपा ने देश में गरीबी बढ़ने के राहुल गांधी के दावे पर उनके खिलाफ 'कड़ी कार्रवाई' की मांग करते हुए चुनाव आयोग से संपर्क किया था। बीजेपी ने राहुल गांधी पर भाषा और क्षेत्र के आधार पर भारत के उत्तर और दक्षिण के बीच दरार पैदा करने का भी आरोप लगाया है।

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बहरहाल, इस नोटिस और चेतावनी के बाद भी बीजेपी ने 'मुस्लिम' बयान से ही कांग्रेस पर हमला जारी रखा। बीजेपी अध्यक्ष नड्डा ने कहा, 'कांग्रेस और इंडिया गठबंधन का छिपा हुआ एजेंडा एससी, एसटी, ओबीसी के अधिकारों को छीनना और मुसलमानों को देना है। कांग्रेस कहती है कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार गरीबों का है।'

उन्होंने कहा, 'मनमोहन सिंह ने वह बयान ग़लती से नहीं दिया था। उन्होंने जानबूझकर ऐसा किया था क्योंकि अप्रैल 2009 में एक प्रश्न का उत्तर देते समय - मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान- वह अपने बयान पर कायम रहे और कहा कि अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और सबसे पहले देश के संसाधनों पर अधिकार उनका होना चाहिए।' पार्टी ने पूर्व पीएम की एक वीडियो क्लिप भी साझा की।

भाजपा सुप्रीमो ने आगे दावा किया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने मुसलमानों को एससी और एसटी से भी बदतर स्थिति में दिखाने के लिए सच्चर समिति की रिपोर्ट के माध्यम से झूठे बयान दिए थे।
तो सवाल है कि क्या कभी मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है? पिछले क़रीब 18 साल से इस बयान को बार-बार फैक्ट चेक कर ग़लत साबित किया जाता रहा है।

मनमोहन सिंह के जिस बयान को लेकर बीजेपी के नेता बार-बार हमला करते रहे हैं वह दरअसल, क़रीब 18 साल पहले के एक बयान से संबंधित है। 9 दिसंबर 2006 को प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह ने नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल यानी राष्ट्रीय विकास परिषद को संबोधित किया था। उन्होंने भाषण अंग्रेजी में दिया था। उसका हिंदी अनुवाद है- 'मैं मानता हूँ कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं साफ़ हैं। ये हैं- कृषि, सिंचाई- जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे में अहम निवेश और सामान्य बुनियादी ढांचे के लिए ज़रूरी सार्वजनिक निवेश। इसके साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कार्यक्रम, अल्पसंख्यक और महिलाएं और बच्चों के लिए कार्यक्रम भी सामूहिक प्राथमिकताएँ हैं। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए योजनाओं को पुनर्जीवित करने की ज़रूरत है। हमें नई योजना लाकर ये सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यकों का और खासकर मुस्लिमों का भी उत्थान हो सके, विकास का फायदा मिल सके। इन सभी का संसाधनों पर पहला अधिकार है। केंद्र के पास बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं, और पूरे संसाधनों की उपलब्धता में सबकी ज़रूरतों को शामिल करना होगा।'

इस तरह मनमोहन सिंह के भाषण में कहीं नहीं कहा गया है कि देश के संसाधनों पर एक समुदाय का पहला अधिकार है। वह एससी, एसटी, ओबीसी, महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों, सभी की बात कर रहे थे। 

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क़मर वहीद नक़वी
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