शाहीन बाग में चार महीने के एक बच्चे की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। सर्वोच्च अदालत ने पूछा है कि क्या चार महीने का बच्चा विरोध प्रदर्शन कर सकता है?
याद दिला दें कि चार महीने के बच्चे मुहम्मद जहाँ को उसकी माँ रोज़ शाहीन बाग के धरना स्थल पर ले जाती थी। उसे ठंड लग गई और 30 जनवरी को उसकी मौत हो गई।
इसके बाद राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार विजेता 12 साल की बच्ची ज़ेन गुणवरतन सदावर्ते ने मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे को एक भावुक चिट्ठी लिखी। सदावर्ते ने बच्चे की मौत की जाँच कराने की माँग की थी। मुख्य न्यायाधीश ने इस चिट्ठी का संज्ञान लिया है।
नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में हज़ारों महिलाएं दिल्ली के शाहीन बाग में एकत्रित हैं और धरने पर हैं। उनकी वकालत करने वाले वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में इन महिलाओं की बातें रखीं और बच्चे की मौत पर भी उनका पक्ष रखा।
इन वकीलों ने कहा कि पर्यावरण पर काम करने वाली ग्रेटा तनबर्ग ने जिस समय विरोध प्रदर्शन शुरू किया था, वह बच्ची ही थीं। इसके साथ ही इन वकीलों ने यह भी कहा कि इन बच्चों को स्कूलों में ‘पाकिस्तानी’ कह कर चिढ़ाया जाता है।
मुख्य न्यायाधीश ने वकीलों को फटकार लगाते हुए कहा कि वे बेकार के तर्क न दें। उन्होंने यह भी कहा कि यह अदालत है, कोई बेकार की बात करेगा तो उसे रोक दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अदालत मातृत्व का पूरा सम्मान करती है।
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