दिल्ली नगर निगम के मेयर पद का चुनाव जल्दी कराने की मांग वाली
आप की मेयर प्रत्याशी शैली ओबरॉय की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने
एलजी ऑफिस और प्रोटेम स्पीकर और बीजेपी पार्षद सत्य शर्मा को नोटिस जारी किया है।
आम आदमी पार्टी की मेयर पद की उम्मीदवार शैली ओबरॉय ने इसके
लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने दिल्ली सरकार और एमसीडी
कमिश्नर को नोटिस जारी कर सोमवार तक जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई तीन जजों की
पीठ कर रही थी जिसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला शामिल थे।
दिल्ली नगर निगम हाउस तीसरे प्रयास में भी महापौर का चुनाव
करने में विफल रहा, सोमवार को हंगामे
के बाद पीठासीन अधिकारी सत्य शर्मा ने कहा कि उपराज्यपाल द्वारा नामित एल्डरमैन
चुनाव में मतदान करेंगे।
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आप-
बीजेपी के बीच टकराव की वजह एलजी की ओर से नियुक्त किए गए 10 मनोनीत पार्षद हैं। आप चाहती
है कि मनोनीत पार्षदों को वोट का अधिकार नहीं मिले। जबकि बीजेपी उन्हें मतदान का
हिस्सा बनाना चाहती है।
आप उम्मीदवार
की ओर से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि प्रोटेम स्पीकर सत्य शर्मा मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग
कमेटी के सदस्यों का चुनाव एक साथ कराना चाहते हैं, जबकि यह असंवैधानिक है। पहले
मेयर पद पर चुनाव हो, उसके बाद उनकी अध्यक्षता में डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी
के सदस्यों का चुनाव होना चाहिए।
प्रोटेम
स्पीकर सत्य शर्मा ने मेयर, डिप्टी
मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों का चुनाव एक साथ कराए जाने की बात कही है। इस
पर आम आदमी पार्टी को एतराज है। दिल्ली में मेयर के चुनाव को अब तक तीन
बार टाला चुका है। एमसीडी के लिए हुए चुनावों में आप आदमी पार्टी का बहुमत है। लेकिन
बीजेपी तकनीकी आधार पर अपना मेयर चाहती है। दिल्ली में मेयर पद महिला उम्मीदवार के
लिए आरक्षित है।
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एमसीडी हाउस के पहले दो सत्र 6 जनवरी और 24 जनवरी को हुए। एलजी द्वारा नामित पीठासीन अधिकारी सत्य
शर्मा ने बीजेपी और आप के सदस्यों के बीच हंगामे और तीखे आदान-प्रदान के बाद
स्थगित कर दिए गए। इसके बाद तीसरी बैठक 6 फरवरी को हुई, लेकिन इसमें भी वही किस्सा दोहराया गया।
दिल्ली नगर निगम (DMC) अधिनियम, 1957 के अनुसार, निकाय चुनावों के बाद सदन के पहले ही सत्र
में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव किया जाना है। हालांकि, 4 दिसंबर को हुए नगर निकाय चुनाव हुए दो
महीने हो चुके हैं और दिल्ली को अभी तक मेयर नहीं मिला है।
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