दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव में मेयर और डिप्टी मेयर के पद के लिए आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच जोरदार लड़ाई होने जा रही है। मेयर और डिप्टी मेयर के लिए चुनाव 6 जनवरी को होगा। आम आदमी पार्टी ने मेयर के पद के लिए शैली ओबेरॉय को जबकि डिप्टी मेयर के पद पर आले मोहम्मद इकबाल को मैदान में उतारा है।
जबकि बीजेपी ने मेयर के पद पर रेखा गुप्ता को प्रत्याशी बनाया है और डिप्टी मेयर की सीट पर कमल बागड़ी को उतारा है।
बीजेपी ने इस चुनाव में यू-टर्न लिया है क्योंकि एमसीडी के नतीजों के बाद उसने कहा था कि चूंकि बहुमत आम आदमी पार्टी के पास है इसलिए मेयर भी आम आदमी पार्टी का बनेगा और बीजेपी विपक्ष की भूमिका में रहेगी।
लेकिन नामांकन के अंतिम दिन यानी 27 दिसंबर को उसने अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर लोगों को चौंका दिया।
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बीजेपी ने चुनाव में उतरने को लेकर अपना स्टैंड क्यों बदला, इस बारे में दिल्ली बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि हमने कभी भी आधिकारिक रूप से यह नहीं कहा था कि हम चुनाव नहीं लड़ेंगे और हमेशा यह कहा कि हम वक्त आने पर इस बारे में बताएंगे।
सचदेवा ने कहा कि चुनाव कभी भी एकतरफा नहीं होता है और एक पद के लिए 2 या इससे ज्यादा लोग मैदान में होते हैं इसलिए हमने अपने योग्य उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है, हम चुनाव लड़ेंगे और अपना बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करेंगे।
एमसीडी के चुनाव में आम आदमी पार्टी को 134, बीजेपी को 104 और कांग्रेस को 9 सीटों पर जीत मिली थी और 15 साल से एमसीडी की सत्ता में बैठी बीजेपी की विदाई हो गई थी।
एमसीडी में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव इसलिए रोमांचक हो सकता है क्योंकि आम आदमी पार्टी के पास बहुमत के लिए जरूरी 126 पार्षदों से सिर्फ कुछ ही ज्यादा पार्षद हैं। ऐसे में अगर बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग हुई तो समीकरण बिगड़ भी सकते हैं।
मेयर के चुनाव को लेकर बीजेपी के एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि आम आदमी पार्टी के पास 150 वोट हैं लेकिन हमें भी इस बात का भरोसा है कि हमें 140 से ज्यादा वोट मिलेंगे। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के अंदर कई बागी नेता भी हैं और यह इस बात से साबित हुआ है कि पार्टी ने अपने दो अन्य नेताओं को भी मेयर और डिप्टी मेयर के पद के लिए बैकअप उम्मीदवार के तौर पर उतारा है। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि पार्टी एकजुट नहीं है।
इस बयान का मतलब साफ है कि बीजेपी इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के पास ज्यादा पार्षद होने के बाद भी उसे चैन से बैठने का मौका नहीं देगी।
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बीजेपी ने यह संदेश देने की भी कोशिश की है कि मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने वैश्य समुदाय और पूर्वांचली समुदाय का ध्यान नहीं रखा है। जबकि उसने वैश्य समुदाय से आने वाली रेखा गुप्ता को मेयर के चुनाव में उम्मीदवार बनाया है।
साल 2012 तक दिल्ली में एकीकृत नगर निगम ही था लेकिन उसके बाद इसे दक्षिणी, पूर्वी और उत्तरी नगर निगम में बांट दिया गया था। इस बार बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने तीनों नगर निगमों को एक कर दिया है। पिछली बार तीनों ही नगर निगमों में बीजेपी के मेयर थे लेकिन इस बार वह एमसीडी के चुनाव में बहुमत का आंकड़ा हासिल करने से पीछे रह गई।
मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में एमसीडी के 250 पार्षदों के साथ ही दिल्ली विधानसभा के 13 विधायक और दिल्ली में लोकसभा और राज्यसभा के 10 सांसद भी वोट डालेंगे। जबकि एमसीडी में एलजी के द्वारा मनोनीत पार्षदों को चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं है।
क्रॉस वोटिंग का डर
मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में राजनीतिक दलों को सबसे बड़ा डर क्रॉस वोटिंग का होता है क्योंकि इसमें पार्षदों पर दल-बदल कानून लागू नहीं होता और राजनीतिक दल अपने पार्षदों के लिए व्हिप भी जारी नहीं कर सकते। ऐसे में पार्षद क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं। मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के बाद दिल्ली के 12 एडमिनिस्ट्रेटिव जोन के लिए चुनाव होगा।
एमसीडी चुनाव के नतीजे आने के बाद बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने एक-दूसरे पर उनके पार्षदों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था।
चंडीगढ़ नगर निगम का चुनाव
यहां याद दिलाना होगा कि बीते साल दिसंबर में हुए चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव में कुल 35 वार्ड में से आम आदमी पार्टी को 14 वार्डों में जीत मिली थी जबकि बीजेपी ने 12 और कांग्रेस ने 8 वार्डों में जीत हासिल की थी। लेकिन बावजूद इसके बीजेपी अपना मेयर बनाने में कामयाब रही थी।
इस बात का इशारा बीजेपी के आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने एमसीडी चुनाव के नतीजे आने के बाद अपने ट्वीट में किया था।
देखना होगा कि एमसीडी में मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में कौन जीत हासिल करता है।
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