दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव के मद्देनजर बड़ा ऐलान किया है। केजरीवाल ने कहा है कि अगर आम आदमी पार्टी एमसीडी की सत्ता में आई तो दिल्ली के अंदर जितने भी आरडब्लूए यानी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन हैं, उन्हें मिनी पार्षद का दर्जा दिया जाएगा। केजरीवाल ने कहा कि ऐसा होने से लोगों को अपने छोटे-छोटे कामों के लिए नेताओं के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि आरडब्लूए को अपना दफ्तर चलाने के लिए और लोगों के छोटे-मोटे काम कराने के लिए फंड उपलब्ध कराए जाएंगे।
एमसीडी के चुनाव के लिए 4 दिसंबर को मतदान होगा और नतीजे 7 दिसंबर को आएंगे। चुनाव में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है। कुछ सीटों पर कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार भी टक्कर में हैं।
केजरीवाल ने कहा कि इसका मकसद है जनता को दिल्ली का मालिक बनाना। दिल्ली के हर नागरिक को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा और जनता आरडब्लूए के जरिए अपने सारे काम करा सकेगी।
2017 में मिली थी हार
2017 में जब एमसीडी के 272 वार्डों में चुनाव हुआ था तो बीजेपी को 181 वार्डों में जीत मिली थी जबकि आम आदमी पार्टी को 48, कांग्रेस को 30 और अन्य को 11 वार्डों पर जीत मिली थी। 2017 के एमसीडी चुनाव के नतीजों को आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए बड़ा झटका माना गया था क्योंकि दिल्ली की सत्ता में होते हुए भी उसे बीजेपी के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। इस बार एमसीडी में 250 वार्डों के लिए चुनाव हो रहा है।
आम आदमी पार्टी एमसीडी का चुनाव हर हाल में जीतना चाहती है। लेकिन बीजेपी के द्वारा जारी किए जा रहे स्टिंग और मंत्री सत्येंद्र जैन के वीडियो ने उसे कुछ हद तक परेशान जरूर कर दिया है।
केजरीवाल ने कहा कि अगर किसी और पार्टी का पार्षद बनाया तो वह आरडब्लूए को काम नहीं करने देगा और लोग इस बात को सुनिश्चित करें कि इस बार सभी मिलकर आम आदमी पार्टी को वोट दें।
दी थी 10 गारंटी
केजरीवाल ने कुछ दिन पहले दिल्ली की जनता के लिए 10 गारंटियों का ऐलान किया है। इन गारंटियों में कूड़े के पहाड़ ख़त्म करना, दिल्ली को साफ करना, पार्किंग समस्या को ख़त्म करना आदि शामिल हैं।
दिल्ली में मजबूत है आप
दिल्ली में आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में 2013, 2015 और 2020 में सरकार बना चुकी है। 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी और यह सिर्फ 49 दिन तक चली थी। जबकि 2015 और 2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी थी।
2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 3 सीटें मिली थी जबकि 2020 के चुनाव में वह सिर्फ 8 सीटों पर जीत दर्ज कर सकी थी। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने दिल्ली के विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी थी। कांग्रेस का दोनों चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया था।
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