दिल्ली की एक अदालत ने
दिल्ली राज्य की शराब नीति तैयार करने
और उसे लागू करने में कथित अनियमितताओं से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई)
के मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका
शुक्रवार को खारिज कर दी।
लोअर कोर्ट से जमानत
याचिका खारिज होने के बाद मनीष सिसोदिया ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे लोअर
कोर्ट के आदेश को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे। सिसोदिया फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं और उन्हें तीन
अप्रैल को अदालत में पेश किया जाना है। मनीष को 26 फरवरी
को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया था। उसके बाद से ही वे हिरासत में हैं।
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मनीष सिसोदिया ने जमानत
याचिका दायर करते हुए कहा था कि जांच एजेंसी को उनके हिरासत में रखे जाने से कुछ भी नया
हासिल नहीं होगा क्योंकि इस मामले से जुड़ी सभी चीजें पहले ही बरामद हो चुकी हैं। अपनी जमानत याचिका का बचाव
करते हुए सिसोदिया ने इस बात पर भी जोर दिया कि जब भी सीबीआई ने जब भी उन्हें पूछताछ
के लिए बुलाया वह पूछताछ में शामिल होने के लिए सीबीआई के दफ्तर पहुंचे।
सीबीआई ने उनकी जमानत
याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अगर उन्हें जमानत
दी जाती है तो इससे हमारी जांच प्रभावित हो सकती है, क्योंकि इसमें बाहरी प्रभाव
और हस्तक्षेप बहुत ज्यादा है। सिसोदिया को सीबीआई ने शराब नीति के निर्माण और
कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था।
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सीबीआई के अलावा प्रवर्तन
निदेशालय (ईडी) भी दिल्ली शराब घोटाले की जांच कर रहा है। ईडी ने इस मामले में मनीष पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप गया है। ईडी
ने सिसोदिया को 9 मार्च को उनसे
पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया था।
आम आदमी पार्टी ने मनीष
सिसोदिया पर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि शराबनीति की जांच के
बहाने बीजेपी उनसे राजनीतिक दुश्मनी पूरी करने की कोशिश कर रही है।
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