'मलयालम नहीं, हिन्दी या अंग्रेजी बोलें', इस आदेश पर दिल्ली के नर्सो ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। मलयालम- भाषी नर्सों की प्रतिनिधि संस्था ने इसे भाषायी स्वतंत्रता पर ख़तरा बताया है और इसके लिए ज़िम्मेदार लोगों से माफ़ी माँगने को कहा है।