क्या आपको पता है कि महाश्वेता देवी की जिस लघुकथा 'द्रौपदी' को दिल्ली यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम से हटाया गया उसमें ख़ास क्या है? उसमें कहानी है- 'पुरुष अत्याचार' के ख़िलाफ़ एक महिला के तनकर खड़ा हो जाने की। अपने अधिकारियों से बलात्कार करा रहे एक पुरुष अफ़सर के सामने एक महिला की नाफ़रमानी की। एक पितृसतात्मक समाज को चुनौती देने की। एक ऐसी जनजातीय महिला की कहानी की जो ताक़तवर ज़मींदारों के ख़िलाफ़ खड़ी होती है। इस कहानी के चरित्र में दोपदी है, लेकिन महाभारत की वह द्रौपदी नहीं जिसकी रक्षा करने एक पुरुष देवता आते हैं। वह दोपदी ख़ुद लड़ती है।