क्या आपको पता है कि महाश्वेता देवी की जिस लघुकथा 'द्रौपदी' को दिल्ली यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम से हटाया गया उसमें ख़ास क्या है? उसमें कहानी है- 'पुरुष अत्याचार' के ख़िलाफ़ एक महिला के तनकर खड़ा हो जाने की। अपने अधिकारियों से बलात्कार करा रहे एक पुरुष अफ़सर के सामने एक महिला की नाफ़रमानी की। एक पितृसतात्मक समाज को चुनौती देने की। एक ऐसी जनजातीय महिला की कहानी की जो ताक़तवर ज़मींदारों के ख़िलाफ़ खड़ी होती है। इस कहानी के चरित्र में दोपदी है, लेकिन महाभारत की वह द्रौपदी नहीं जिसकी रक्षा करने एक पुरुष देवता आते हैं। वह दोपदी ख़ुद लड़ती है।
महाश्वेता देवी की 'द्रौपदी' में ऐसा क्या है जो डीयू के पाठ्यक्रम से हटा दिया?
- दिल्ली
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- 26 Aug, 2021
दिल्ली यूनिवर्सिटी शैक्षणिक परिषद ने बीए (ऑनर्स) अंग्रेजी के पाठ्यक्रम में बदलावों को मंजूरी देते हुए महाश्वेता देवी की लघुकथा ‘द्रौपदी’ को पाठ्यक्रम से हटा दिया।

'द्रौपदी' मूल रूप से महाश्वेता देवी द्वारा बंगाली में लिखी गई एक लघुकथा है। इसे गायत्री चक्रवर्ती स्पिवक द्वारा अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है। द्रौपदी को ब्रेस्ट स्टोरीज संग्रह में संकलित किया गया है। क़रीब 20 पृष्ठों की इस छोटी कहानी की शैली नारीवादी है। नारीवादी शैली का सीधा मतलब यह है कि महिलाओं, उनके सशक्तिकरण, महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो।