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जांच एजेंसी ईडी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी और एमएलसी के. कविता का नाम केजरीवाल सरकार द्वारा लाई गई और फिर वापस ली गई आबकारी नीति की जांच में शामिल कर लिया है।
ईडी ने बुधवार को आबकारी नीति के मामले में कारोबारी अमित अरोड़ा को गिरफ्तार किया था। अमित अरोड़ा के बयानों के आधार पर ईडी ने दावा किया है कि कविता दक्षिण के एक ग्रुप की अहम सदस्य थीं और इस ग्रुप ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के नेताओं को 100 करोड़ रुपए की रिश्वत दी थी।
ईडी ने कहा है कि यह रिश्वत आम आदमी पार्टी के कम्युनिकेशन विभाग के प्रभारी विजय नायर के जरिए दी गई थी। विजय नायर को भी आबकारी नीति के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
ईडी ने इस बात की जानकारी दिल्ली की एक अदालत को भी दी है।
इस साल अगस्त में बीजेपी के नेता प्रवेश वर्मा और मनजिंदर सिंह सिरसा ने आरोप लगाया था कि के. कविता की भी केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति में भूमिका थी। हालांकि कविता ने इन आरोपों को दरकिनार किया था और कहा था कि वह इस मामले में मानहानि का मुकदमा दायर करेंगी।
ईडी ने कहा है कि अमित अरोड़ा ने जांच के दौरान इस बात को स्वीकार किया है कि दक्षिण के इस ग्रुप का नियंत्रण अरबिंदो फार्मा के शरथ रेड्डी, के. कविता और एम. श्रीनिवासुलू रेड्डी के हाथ में था। ईडी ने यह भी कहा है कि कविता ने 2021 से 2022 के बीच 6 बार अपना मोबाइल फोन बदला था।
ईडी ने कहा है कि इस मामले में कम से कम 36 अभियुक्त या संदिग्ध लोग ऐसे हैं जिन्होंने कुल 170 मोबाइल फोन नष्ट कर दिए थे। इसमें से ईडी अभी तक 17 मोबाइल फोन को रिकवर कर चुकी है।
इसे लेकर के. कविता ने कहा है कि बच्चा-बच्चा जानता है कि मोदी से पहले जांच एजेंसी ईडी आती है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दी कि वह उन्हें जेल में डाल कर दिखाएं। उन्होंने कहा कि आप केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर चुनाव नहीं जीत सकते हैं। के. कविता ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने पिछले 8 सालों में 9 राज्यों की सरकारों को अस्थिर किया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी तेलंगाना की केसीआर सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है और उसे बदनाम करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। हालांकि उन्होंने कहा कि वह जांच में पूरा सहयोग करेंगी।
बताना होगा कि तेलंगाना में जल्द ही विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और वहां केसीआर की भारत राष्ट्र समिति और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है।
सीबीआई ने कुछ महीने पहले इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर में अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे को उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का करीबी सहयोगी बताया था।
सीबीआई ने एफआईआर में आरोप लगाया था कि ये तीनों शराब लाइसेंस धारियों से इकट्ठा किए गए धन को मैनेज करने और इसे डाइवर्ट करने के काम में शामिल थे। ईडी ने इस मामले में सीबीआई के द्वारा अगस्त में दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर सितंबर में केस दर्ज कर लिया था।
कुछ दिन पहले सीबीआई और ईडी ने आबकारी नीति के मामले में चार्जशीट दायर की थी। लेकिन दोनों एजेंसियों की ओर से दायर की गई चार्जशीट में मनीष सिसोदिया का नाम नहीं था। ऐसे में सवाल उठा था कि आखिर मनीष सिसोदिया का नाम इनमें क्यों नहीं है जबकि एजेंसियों की ओर से मनीष सिसोदिया के घर, उनके बैंक लॉकर की छापेमारी की गई और उनसे पूछताछ भी की गई।
बताना होगा कि नई आबकारी नीति को लेकर दिल्ली में पिछले कई महीनों से जबरदस्त बवाल चल रहा है। इस मामले में मनीष सिसोदिया के सहयोगी और कारोबारी दिनेश अरोड़ा सरकारी गवाह बने थे।
कुछ दिन पहले जांच एजेंसी ईडी ने दावा किया था कि आबकारी नीति में 100 करोड़ रुपए की रिश्वतखोरी हुई थी। ईडी ने दावा किया था कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित तीन दर्जन से अधिक वीआईपी ने कथित तौर पर डिजिटल सुबूतों को मिटाने के लिए 140 से अधिक मोबाइल फोन बदले थे।
सीबीआई ने कुछ महीने पहले मनीष सिसोदिया के घर पर छापेमारी की थी और गाजियाबाद के पंजाब नेशनल बैंक की ब्रांच में स्थित उनके बैंक लॉकर को भी खंगाला था। सिसोदिया को कुछ दिन पहले जांच एजेंसी सीबीआई के द्वारा पूछताछ के लिए बुलाया गया था। तब आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया था।
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