नवंबर 2022 के अंतिम एक सप्ताह में, पश्चिमी मीडिया ने ज़ीरो कोविड नीति को लेकर चीन में छिटपुट विरोध की सूचनाएँ दीं। तीन कारणों से इन ख़बरों की प्रामाणिकता का पता लगाना बहुत मुश्किल है कि वे नक़ली हैं या असली।
क्या कम्युनिस्ट पार्टी के असंतुष्ट हैं चीनी प्रदर्शनों के पीछे?
- दुनिया
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- 1 Dec, 2022

चीन में प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं और ऐसा करने वाले कौन लोग हैं? क्या सख़्त कोविड लॉकडाउन यानी तालाबंदी की वजह से ही नाराज़गी है और और कुछ वजह भी है?
सबसे पहले, देश के विभिन्न हिस्सों में सख़्त तालाबंदी ने आवाजाही को प्रतिबंधित कर दिया है। प्रत्येक पर्यटक की आवाजाही पर बहुत प्रभावी ढंग से नज़र रखी जाती है और उन्हें यात्रा की कोई स्वतंत्रता नहीं होती है। दूसरे, भाषा की बाधा और सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म जो चीनी भाषा मंदारिन आधारित ऐप बाइडू है और जिसका मुख्य सर्वर देश के भीतर है और उस पर कड़ी निगरानी की जाती है। और तीसरा, अक्टूबर 2022 के पहले सप्ताह को याद करें, पश्चिमी मीडिया ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के मीडिया की नज़रों से ग़ायब होने पर संभावित सत्ता परिवर्तन के बारे में बात की थी। उनके हाउस अरेस्ट, सैन्य तख़्तापलट, बीजिंग की ओर सशस्त्र वाहनों की आवाजाही, पीएलए में विद्रोह और बीजिंग में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रद्द करने सहित कई फ़र्ज़ी वीडियो प्रसारित किए थे। सभी सोशल मीडिया की ख़बरें फ़र्ज़ी और प्रेरित साबित हुए। इसलिए, इन फ़र्ज़ी ख़बरों से भरी मीडिया सामग्री वास्तविक समय में स्थिति का आकलन करना मुश्किल बना दे रही है।
राजीव श्रीवास्तव रक्षा विश्लेषक हैं। रोहित शर्मा अंतरराष्ट्रीय संबंध विश्लेषक हैं।