जेएनयू में रविवार देर शाम को जब नक़ाबपोश कैंपस में हिंसा करने उतरे तो वैसे लोगों को भी नहीं छोड़ा जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार दिव्यांग कहकर बुलाती है। गुहार लगाते हुए दृष्टिहीन को भी नहीं छोड़ा नक़ाबपोश हमलावरों ने। जो भी उन्हें कैंपस में या हॉस्टल के कमरों में मिला, किसी को भी नहीं छोड़ा। यूनिवर्सिटी के छात्रों का कहना है कि कुछ छात्रों को ज़्यादा ही टारगेट कर निशाना बनाया गया था। इसमें कश्मीरी छात्रों, वामपंथी छात्रों, फीस बढ़ोतरी का विरोध कर रहे छात्र भी शामिल हैं।
जेएनयू बर्बरता: 'मैं चिल्लाता रहा- अंधा हूँ, मुझे मत मारो, नक़ाबपोश मुझे पीटते रहे'
- दिल्ली
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- 29 Mar, 2025
जेएनयू में रविवार देर शाम को जब नक़ाबपोश कैंपस में हिंसा करने उतरे तो वैसे लोगों को भी नहीं छोड़ा जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार दिव्यांग कहकर बुलाती है। नक़ाबपोशों ने गुहार लगाते दृष्टिहीन को भी नहीं छोड़ा।

बता दें कि जेएनयू में रविवार शाम को हिंसा भड़क गई थी। दर्जनों नक़ाबपोश लोगों ने कैंपस में छात्रों और अध्यापकों पर हमला कर दिया। इसमें विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष गंभीर रूप से घायल हो गईं। तब प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार क़रीब 50 गुंडे कैंपस में घुसे, तोड़फोड़ की और लोगों पर हमले भी किए। इस हिंसा में छात्रसंघ अध्यक्ष सहित कम से कम 34 लोगों के घायल होने की रिपोर्ट है। घायलों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। इन्हीं घायलों में से एक दृष्टिहीन हैं। 25 वर्षीय सूर्य प्रकाश जेएनयू के साबरमती हॉस्टल में ग्राउंड फ़्लोर पर रहते हैं और वह पूरी तरह दृष्टिहीन हैं। 'लाइव मिंट' ने उनसे बातचीत के आधार पर रिपोर्ट प्रकाशित की है।