दिल्ली में ज़हरीली हवा पर फिर से हंगामा शुरू हो गया है। यह हर साल होता है। बिल्कुल रस्म अदायगी की तरह! ऐसा जैसे इस पर विवाद न हो तो पता ही नहीं चले कि सर्दी आ गई! आख़िर क्या वजह है कि सालों साल वही समस्या चली आ रही है? समस्या भी सामान्य नहीं है। साफ़ हवा की समस्या। साँस लेना दूभर हो जाने की समस्या। वह चीज जो ज़िंदा रहने के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। आख़िर यह समस्या क्या है और इसका समाधान क्यों नहीं हो रहा है?
दिल्ली में ज़हरीली हवा: समाधान तब निकलेगा न जब इसे समस्या मानेंगे?
- दिल्ली
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- 17 Oct, 2020
दिल्ली में ज़हरीली हवा पर फिर से हंगामा शुरू हो गया है। यह हर साल होता है। बिल्कुल रस्म अदायगी की तरह! क्या वजह है कि सालों साल वही समस्या चली आ रही है? समस्या भी सामान्य नहीं है। आख़िर इसका समाधान क्यों नहीं हो रहा है?

इस साल इस पर फिर से विवाद उठा है। यह इसलिए कि सर्दी का मौसम शुरू भी नहीं हुआ है और दिल्ली में प्रदूषण बढ़ गया है। दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई औसत रूप से 250 के आसपास तक पहुँच गया है। 201 से 300 के बीच एक्यूआई को ‘ख़राब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत ख़राब’ और 401 और 500 के बीच होने पर उसे ‘गंभीर’ माना जाता है। एयर क्वॉलिटी इंडेक्स से हवा में मौजूद 'पीएम 2.5', 'पीएम 10', सल्फ़र डाई ऑक्साइड और अन्य प्रदूषण के कणों का पता चलता है। पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर वातावरण में मौजूद बहुत छोटे कण होते हैं जिन्हें आप साधारण आँखों से नहीं देख सकते। 'पीएम10' मोटे कण होते हैं।