केंद्र सरकार ने कहा है कि कुतुब मीनार परिसर में खुदाई को लेकर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। केंद्र ने इस संबंध में आई तमाम मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि संस्कृति मंत्रालय ने कुतुब मीनार परिसर में रखी मूर्तियों की आइकोनोग्राफी कराने का निर्देश दिया है और परिसर से 15 मीटर की दूरी पर खुदाई शुरू की जा सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया था कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी एएसआई खुदाई का काम जल्दी शुरू करेगा।
हालांकि केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी.के. रेड्डी ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में इस तरह की सभी खबरों को खारिज किया है।
विष्णु स्तंभ का दावा
बता दें कि कुछ दिन पहले हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने कुतुब मीनार परिसर में हनुमान चालीसा पढ़ी थी और इसे विष्णु स्तंभ बताया था। सोशल मीडिया पर कुतुब मीनार के विष्णु स्तंभ होने को लेकर तमाम दावे भी किए गए थे।
दिल्ली की एक अदालत ने पिछले महीने एएसआई को निर्देश दिया था कि वह कुतुब मीनार परिसर में मिली भगवान गणेश की दो मूर्तियों को अगले निर्देश तक परिसर से नहीं हटाए।
अदालत ने यह फैसला एडवोकेट हरिशंकर जैन की उस याचिका पर दिया था जिसमें यह दावा किया गया था कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने 27 मंदिरों को तोड़कर कुतुब मीनार का निर्माण कराया था। उन्होंने दावा किया था कि इन मंदिरों के अवशेषों इस्तेमाल मस्जिद कुवत उल इस्लाम को बनाने में किया गया था।
विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने भी इस बात का दावा किया था कि कुतुब मीनार वास्तव में विष्णु स्तंभ ही है। उन्होंने कहा था कि 27 हिंदू व जैन मंदिरों को तोड़कर कुतुब मीनार को बनाया गया था।
बता दें कि इन दिनों देश में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद, मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद और ताजमहल में बंद पड़े 22 कमरों को खुलवाने की मांग वाली याचिका को लेकर अदालतों में लड़ाई लड़ी जा रही है। ऐसे में कुतुब मीनार के विष्णु स्तंभ होने के दावे और यहां खुदाई को लेकर आई खबरों के बाद से ही एक बार फिर से सरगर्मियां बढ़ने लगी हैं।
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