ज्ञानवापी मस्जिद पर अदालती कार्रवाई की रिपोर्टिंग में धड़ल्ले से एक पक्ष को हिन्दू पक्ष और दूसरे को मुसलिम पक्ष लिखा-बताया जा रहा है। खैरियत है कि इसमें पक्ष जोड़ दिया गया है और सीधे हिन्दू-मुसलमान नहीं लिखा गया लेकिन जिस तरह से इसे हिन्दू और मुसलिम पक्ष का मामला बताया जा रहा है, वह हिन्दू-मुसलमान करने जैसा ही है।

क्या ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में बाबरी मस्जिद राम मंदिर विवाद जैसा माहौल तैयार करने की कोशिश की जा रही है?
ज्ञानवापी मस्जिद का मामला बाबरी मस्जिद जैसा ही बनता जा रहा है। दोनों मामलों में एक मस्जिद पक्ष था और है जबकि एक पक्ष मन्दिर का दावा करने वालों का है।
क्या यह विवाद बतौर मुसलमान और हिन्दू समुदाय अदालत तक पहुंचा है? यह विवाद तो हिन्दुत्व की राजनीति करने वालों का एजेंडा है। और इस एजेंडे में अंतहीन मस्जिद और इमारतें हैं।