दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव को लेकर देश की राष्ट्रीय राजधानी में सियासी माहौल गर्म है। बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी उम्मीदवारों के चयन को अंतिम रूप देने में जुटे हैं क्योंकि एमसीडी चुनाव में नामांकन की प्रक्रिया 7 नवंबर से शुरू हो चुकी है और यह 14 नवंबर तक चलेगी। एमसीडी के चुनाव के लिए 4 दिसंबर को मतदान होगा और नतीजे 7 दिसंबर को आएंगे। एबीपी न्यूज़-सी वोटर ने एमसीडी के चुनाव को लेकर ओपिनियन पोल किया है।
ओपिनियन पोल के मुताबिक, 250 वार्ड वाले दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी में बीजेपी को 118-138, आम आदमी पार्टी को 104-124, कांग्रेस को 4-12 और अन्य को 0-4 सीटें मिल सकती हैं। निश्चित रूप से इस ओपिनियन पोल के मुताबिक, एमसीडी पर कब्जे के लिए बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच जोरदार टक्कर होने जा रही है।
बता दें कि साल 2012 तक दिल्ली में एकीकृत नगर निगम था लेकिन दिल्ली की तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार ने इसे उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी नगर निगमों में बांट दिया था। लेकिन केंद्र सरकार ने इसे फिर से एक कर दिया है।
2017 में जब एमसीडी के 272 वार्डों में चुनाव हुआ था तो बीजेपी को 181 वार्डों में जीत मिली थी जबकि आम आदमी पार्टी को 48, कांग्रेस को 30 और अन्य को 11 वार्डों पर जीत मिली थी।
2017 के एमसीडी चुनाव के नतीजों को आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए बड़ा झटका माना गया था क्योंकि दिल्ली की सत्ता में होते हुए भी उसे बीजेपी के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी ने दावा किया है कि वह बीजेपी को इस चुनाव में धूल चटा देगी।
एबीपी न्यूज़-सी वोटर का ओपिनियन पोल कहता है कि एमसीडी के चुनाव में बीजेपी को 42 फीसद, आम आदमी पार्टी को 40 फीसद, कांग्रेस को 16 फीसद और अन्य को 2 फीसद वोट मिल सकते हैं।
एमसीडी चुनाव के बीच ही कूड़े के पहाड़ और यमुना नदी की सफाई पर राजनीति शुरू हो गई है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि बीजेपी ने दिल्ली नगर निगम में अपने पिछले 15 साल के शासन में यहां कूड़े के ढेर लगा दिए हैं। जबकि बीजेपी यमुना नदी की सफाई को लेकर केजरीवाल सरकार को घेर रही है।
टिकट बंटवारे का काम जोरों पर
आम आदमी पार्टी और बीजेपी के अंदर टिकटों के बंटवारे को लेकर जबरदस्त मारामारी है। आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं के घरों के साथ ही पार्टी के मुख्यालय में बड़ी संख्या में टिकटों के दावेदार अपना बायोडाटा लेकर पहुंच रहे हैं। दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय के साथ ही एमसीडी चुनाव के प्रभारी दुर्गेश पाठक के पास बड़ी संख्या में एमसीडी चुनाव में टिकट चाहने वाले उम्मीदवार पहुंच रहे हैं।
इसी तरह बीजेपी भी एमसीडी के 250 वार्डों के लिए उम्मीदवारों के चयन को अंतिम रूप देने में जुटी हुई है। बीजेपी ने दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए प्रचार रथ तैयार किए हैं और हर विधानसभा में एक-एक प्रचार रथ को भेजा जा रहा है।
कांग्रेस ने एमसीडी चुनाव के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा गठित की गई स्क्रीनिंग कमेटी की अध्यक्षता अविनाश पांडे करेंगे जबकि कमेटी में सदस्य के रूप में डॉ के. जयकुमार और काजी मोहम्मद निजामुद्दीन शामिल हैं।
दिल्ली में मजबूत है आप
दिल्ली में आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में 2013, 2015 और 2020 में सरकार बना चुकी है। 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी और यह सिर्फ 49 दिन तक चली थी। जबकि 2015 और 2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी थी। 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 3 सीटें मिली थी जबकि 2020 के चुनाव में वह सिर्फ 8 सीटों पर जीत दर्ज कर सकी थी। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने दिल्ली के विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी थी। कांग्रेस का दोनों चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया था।
पंजाब के विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद आम आदमी पार्टी एमसीडी का चुनाव जीतना चाहती है। आम आदमी पार्टी ने बीजेपी और केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि मार्च 2022 में होने वाले एमसीडी के चुनाव को जानबूझकर टाला गया और इसके बाद वार्डों का परिसीमन भी गलत ढंग से किया गया है लेकिन बावजूद इसके पार्टी ने कहा है कि वह इस चुनाव में बीजेपी को हरा देगी।
पार्टी के सबसे बड़े चेहरे और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एमसीडी के साथ ही गुजरात के विधानसभा चुनाव में भी पूरा जोर लगा रहे हैं लेकिन उनके सामने बड़ी चुनौती एमसीडी के चुनाव जीतने की है। देखना होगा कि अरविंद केजरीवाल एमसीडी में आम आदमी पार्टी का मेयर बना पाते हैं या नहीं।
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