प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आप सांसद संजय सिंह के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर किया। हालांकि संजय सिंह ने बार-बार जांच एजेंसी के आरोपों का खंडन किया है। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि अडानी समूह के खिलाफ संसद में और संसद के बाहर गंभीर आरोप लगाने की वजह से संजय सिंह पर केंद्रीय जांच एजेंसी ने कार्रवाई की है। पहले उन्हें संसद में आने से रोक दिया गया और उसके बाद उन्हें फर्जी मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।
अभियोजन की शिकायत धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की विभिन्न धाराओं के तहत एक स्थानीय अदालत में दायर की गई है।
यह इस मामले में एक पूरक आरोपपत्र है क्योंकि एजेंसी ने पहले ऐसी लगभग पांच शिकायतें दर्ज की थीं।
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राज्यसभा सांसद संजय सिंह को इस मामले में अक्टूबर में ईडी ने गिरफ्तार किया था।
मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी एजेंसी ने आरोप लगाया था कि एक आरोपी व्यवसायी दिनेश अरोड़ा ने राज्यसभा सांसद के आवास पर दो किश्तों में ₹ 2 करोड़ नकद दिए। सिंह ने दावे का खंडन किया था।
इस मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के बाद संजय सिंह दूसरे हाई-प्रोफाइल नेता हैं, जिन्हें कथित मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। AAP ने इन गिरफ्तारियों और मामले को "राजनीतिक जादू-टोना" कहा है।
ईडी की जांच से पता चला है कि अरोड़ा ने सिंह के घर पर दो मौकों पर कथित तौर पर ₹ 2 करोड़ नकद दिए - हर बार ₹ 1 करोड़। एजेंसी ने संजय के रिमांड आवेदन में यह आरोप लगाया गया था। हालांकि अभी तक ईडी ने इस संबंध में कोई सबूत अदालत में पेश नहीं किया है। सारा मामला दिनेश अरोड़ा के बयान पर आधारित है, दिनेश अरोड़ा अब सरकारी गवाह बन गया है।
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आरोप के मुताबिक कथित तौर पर जिस अवधि में नकदी दी गई वह अगस्त 2021 और अप्रैल 2022 के बीच था। यह वही समय था, जब नई शराब नीति लागू की जा रही थी। हालांकि बाद में दिल्ली सरकार ने नई नीति को वापस ले लिया और पुरानी नीति पर लौट आई। नई नीति से दिल्ली सरकार को काफी राजस्व मिला था। लेकिन आलोचना के दबाव में उसने नई नीति को वापस लिया था।
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