दिल्ली में विधानसभा के चुनाव हैं और इसमें 1.47 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि चुनाव से पहले 10 महीने में यानी 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद मतदाताओं की संख्या 9.87 लाख बढ़ गई, जबकि 2009 के लोकसभा चुनाव और 2013 के विधानसभा चुनाव के बीच यानी 4 साल में सिर्फ़ 8.67 लाख ही बढ़ी थी। तो इस बार यह बढ़ोतरी अप्रत्याशित कैसे हो गई? क्या कोई गड़बड़ी की गई है या मतदाता एकाएक जागरूक हो गए? या फिर राजनेताओं ने लोगों में लोकतंत्र में वोट की अहमियत समझायी और उन्होंने अपने नाम मतदाता सूची में दर्ज करा ली?