दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने बेहद निराशाजनक प्रदर्शन किया है। कांग्रेस के लिये दिल्ली का प्रदर्शन बुरे ख़्वाब की तरह है और यह पांच साल बाद एक बार फिर उसका पीछा कर रहा है। लेकिन पार्टी इससे पीछा नहीं छुड़ा पा रही है। सवाल यह है कि कांग्रेस इस बुरे ख़्वाब से कैसे पीछा छुटाएगी, सीधा जवाब है कि अच्छा प्रदर्शन करके। लेकिन यह अच्छा प्रदर्शन न करना ही उसके लिये मुसीबत बन गया है।
दिल्ली: 5 साल में शून्य से आगे नहीं बढ़ सकी कांग्रेस, अब खड़ा होना मुश्किल!
- दिल्ली
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- 12 Feb, 2020

दिल्ली में कांग्रेस के ख़राब प्रदर्शन के बाद राज्य में पार्टी के वजूद को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। दूसरी बार भी पार्टी शून्य से आगे नहीं बढ़ सकी है।
इसे राजनीति की अनिश्चितता ही कहा जा सकता है कि 15 साल तक लगातार दिल्ली की सत्ता में रहने वाली पार्टी पिछले दो विधानसभा चुनावों में अपना ख़ाता खोलने के लिये तरस गई। राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस की स्थिति इस क़दर ख़राब हो चुकी है कि उसे चुनाव में दिल्ली में जनाधार विहीन राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के आगे झुकना पड़ा और 4 सीटें देनी पड़ीं। 70 सीटों वाली विधानसभा में वह 66 सीटों पर चुनाव लड़ी जिसमें से 63 सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई। यहां इस बारे में बात करनी ज़रूरी है कि पार्टी की हार के क्या प्रमुख कारण हैं और वह कैसे अपने पैरों पर दुबारा खड़ी होगी।