दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को जेएनयू के छात्र शरजील इमाम के ख़िलाफ़ राजद्रोह के आरोप तय कर दिए। शरजील के ख़िलाफ़ नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के दौरान अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय और दिल्ली के जामिया इलाक़े में भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे थे। शरजील के ख़िलाफ़ इस मामले में एफ़आईआर दर्ज की गई थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने धारा 124ए (राजद्रोह), 153ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, आदि), 153बी (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक दावे), 505 (सार्वजनिक शरारत के लिए प्रेरित करने वाले बयान) के तहत आरोप तय किए हैं। इसके अलावा अदालत ने भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए की धारा 13 (ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों के लिए सजा) के आरोप भी तय किए हैं।
शरजील के ख़िलाफ़ 25 जनवरी 2020 को अपराध शाखा पुलिस स्टेशन में एफ़आईआर दर्ज की गई थी। 13 दिसंबर 2019 को जामिया क्षेत्र में दिए गए भाषणों को लेकर आईपीसी की धारा 124- (ए), 153 ए, 505 लगाई गई थी। जामिया में दिए गए उनके भाषण को सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था। इसके अलावा शरजील का एक और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था जिसमें वह अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय में एक सभा को संबोधित करते नजर आ आए थे।
इसके बाद शरजील पर राजद्रोह से संबंधित अपराध, धर्म के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और भारत के प्रति असंतोष पैदा करने के लिए गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाया गया।
उन भाषणों को लेकर शरजील के ख़िलाफ़ देश भर में अलग-अलग जगहों पर एफ़आईआर दर्ज की गई थी। तब उनके ख़िलाफ़ कम से कम पाँच राज्यों- उत्तर प्रदेश, असम, दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर- में राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए।
बता दें कि जिस जामिया इलाक़े में उनके भाषण को लेकर राजद्रोह के मामले लगाए गए हैं उसी इलाक़े के जामिया मिल्लिया इसलामिया में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ 13 दिसंबर को ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन हुआ था। पुलिस और छात्रों के बीच ज़बरदस्त झड़प हुई थी। पुलिस ने प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर लाठीचार्ज किया था और आँसू गैस के गोले भी दागे थे। छात्रों द्वारा कथित तौर पर पथराव करने की रिपोर्ट आई थी।
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