तो आख़िर अलका लांबा ने भी आम आदमी पार्टी (आप) का साथ छोड़ ही दिया। अलका ने पार्टी का साथ छोड़ना ही था। पिछले नौ महीनों से वह जिस तरह से पार्टी में रह रही थीं, उससे लग रहा था कि वह पार्टी में रहकर भी पार्टी की नहीं हैं। उन्हें पार्टी के सारे सोशल मीडिया ग्रुप से बाहर कर दिया गया था। उनके विधानसभा क्षेत्र चांदनी चौक में अगर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आते थे तो उन्हें बुलाना तो दूर अधिकारिक रूप से सूचना भी नहीं दी जाती थी। वह आठ महीने से केजरीवाल से मिलने की कोशिश कर रही थीं लेकिन उन्हें मिलने का वक़्त नहीं दिया जा रहा था।