दिल्ली पुलिस ने टिकरी और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर रखे गए सीमेंट के बड़े ब्लॉक्स, बैरिकेड्स और कंटीले तार को हटा दिया है। टिकरी बॉर्डर पर यह काम गुरूवार रात को जबकि ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर शुक्रवार सुबह शुरू किया गया।
ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पश्चिम उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से आए किसान बैठे हैं जबकि टिकरी बॉर्डर पर हरियाणा और पंजाब के किसानों का जमावड़ा है।
टिकरी और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर को पूरी तरह खोलने की मांग को लेकर कई बार प्रदर्शन भी किया जा चुका है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
यहां याद दिलाना होगा कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले किसान आंदोलन के कारण सड़कों के बंद होने पर तीख़ी टिप्पणी की थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि किसानों को आंदोलन करने का हक़ है लेकिन सड़कों को अनिश्चित काल तक के लिए बंद करके नहीं रखा जा सकता है। बता दें कि किसान संगठन कृषि क़ानूनों को ख़त्म करने की मांग को लेकर दिल्ली के बॉर्डर्स पर बीते 11 महीने से धरना दे रहे हैं।
अदालत प्रदर्शनकारियों को सड़कों से हटाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने जवाब देने के लिए किसान संगठनों को तीन हफ़्ते का वक़्त दिया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी।
रद्द होंगे कृषि क़ानून?
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के किसान आंदोलन का मसला हल होने के बाद बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के एलान के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र सरकार कृषि क़ानूनों को रद्द कर सकती है।
बीजेपी और मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती किसान आंदोलन है। दोनों चाहते हैं कि किसान आंदोलन का कोई हल जल्दी निकले। क्योंकि बीजेपी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब के चुनाव में इसके असर को लेकर काफी चिंता है। इस आंदोलन की वजह से पंजाब में बीजेपी नेताओं का चुनाव कार्यक्रम करना बेहद मुश्किल हो गया है।
कृषि क़ानून रद्द होने पर किसान अपना आंदोलन ख़त्म कर सकते हैं। इसके बाद बीजेपी का अमरिंदर के साथ मिलकर पंजाब में चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो जाएगा और उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी उसे राहत मिलेगी।
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