कांग्रेस के द्वारा निकाली जा रही भारत जोड़ो यात्रा बुधवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत में चल रही है। 9 दिनों के ब्रेक के बाद यह यात्रा मंगलवार को दिल्ली के कश्मीरी गेट में मरघट हनुमान मंदिर से शुरू हुई थी और लोनी गाजियाबाद से होते हुए बागपत पहुंची थी। आगे इस यात्रा को हरियाणा से होते हुए पंजाब में जाना है। इस यात्रा का समापन कश्मीर में होगा।
भारत जोड़ो यात्रा तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा का सफर तय करते हुए बीते दिनों दिल्ली पहुंची थी। भारत जोड़ो यात्रा कुल 3570 किमी. की है। यह यात्रा 3000 किमी. से ज्यादा का सफर तय कर चुकी है।
यात्रा के कश्मीर पहुंचने पर विपक्षी दल पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ दिखाई देंगे। जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती इसमें शामिल होंगे।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की प्रभारी और पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी यात्रा में शामिल हुई हैं। प्रियंका गांधी ने इस साल की शुरुआत में हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी की कमान संभाली थी लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत खराब रहा था।
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पिछले हफ्ते केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा था कि भारत जोड़ो यात्रा के दिल्ली पहुंचने पर कई जगहों पर राहुल गांधी की सुरक्षा में चूक दिखाई दी।
‘बीजेपी के खिलाफ अंडर करंट’
राहुल ने कहा था कि भारत जोड़ो यात्रा से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला है और वह इस यात्रा में शामिल होने वाले सभी लोगों का धन्यवाद करना चाहते हैं। राहुल ने कहा था कि अगर विपक्षी दल एकजुट हुए तो बीजेपी के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव जीतना बेहद मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि बीजेपी के खिलाफ अंडर करंट है और विपक्ष को एक विजन के साथ सामने आना होगा।
अब जब लोकसभा चुनाव 2024 के लिए ज्यादा वक्त नहीं बचा है, ऐसे में कांग्रेस इस यात्रा के जरिए खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। निश्चित रूप से यह बड़ा सवाल है कि भारत जोड़ो यात्रा में जिस तरह कांग्रेस नेताओं, समर्थकों और आम लोगों की भीड़ दिखाई दी है क्या वह वोटों में भी तब्दील होगी। कांग्रेस 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव बुरी तरह हार चुकी है और वर्तमान में उसकी सिर्फ तीन राज्यों में अपने दम पर सरकार है।
हाथ से हाथ जोड़ो अभियान
साल 2023 में देश में 10 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं और उसके बाद लोकसभा चुनाव भी सामने हैं। ऐसे में कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा के बाद हाथ से हाथ जोड़ो अभियान चलाने का भी ऐलान किया है लेकिन सवाल यह है कि क्या पार्टी को इसका चुनावी फायदा मिलेगा।
क्या वह 2023 में कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, जम्मू-कश्मीर जैसे अहम राज्यों में चुनावी जीत हासिल कर पाएगी। अगर उसका इन राज्यों में प्रदर्शन बेहतर रहा तो वह 2024 के चुनाव में बीजेपी को चुनौती दे सकती है।
लेकिन इसके साथ ही उसे एक मजबूत फ्रंट भी बनाना होगा और तमाम विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ मिलकर ही चुनाव मैदान में उतरना होगा। देखना होगा कि पार्टी इन चुनौतियों से लड़ने के लिए खुद को किस तरह तैयार करती है।
अपनी राय बतायें