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आतिशी ने दिल्ली सीएम पद से इस्तीफा दिया, विधानसभा भंग

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी के हाथों आप की शिकस्त के एक दिन बाद मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी ने रविवार को सीएम पद से इस्तीफ़ा दे दिया। उन्होंने उपराज्यपाल वी के सक्सेना से मुलाकात की और उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके साथ ही राज्यपाल ने राष्ट्रीय राजधानी की सातवीं विधानसभा को भी भंग कर दिया है। अब रिपोर्टें हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे से लौटने के बाद दिल्ली के नये सीएम का शपथ ग्रहण हो सकता है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रचंड जीत दर्ज की है। 48 सीटों पर बीजेपी ने तो 22 सीटों पर आप ने जीत दर्ज की है। केजरीवाल, सिसोदिया जैसे आप नेता भी चुनाव हार गए। बीजेपी ने 70 सदस्यीय विधानसभा में 48 सीटें हासिल कीं, जो 2020 की 8 सीटों से 40 अधिक हैं। 2020 में 62 सीटें जीतने वाली आप इस बार 22 सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस का फिर से खाता नहीं खुल पाया। 1998 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 47.76% वोट शेयर के साथ 70 में से 52 सीटें जीती थीं और कांग्रेस सरकार के मुखिया के रूप में शीला दीक्षित ने 15 साल तक दिल्ली की कमान संभाली थी। यह सत्ता 2013 में ख़त्म हो गई, जब कांग्रेस सिर्फ आठ सीटों पर सिमट गई, और शीला दीक्षित खुद केजरीवाल से हार गई थीं।

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2015 में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था जब वह खाता खोलने में विफल रही थी और उसका वोट शेयर 10% से भी कम हो गया था। पिछले विधानसभा चुनावों में पार्टी और भी पीछे चली गई, उसे केवल 4.26% वोट मिले थे।

फिलहाल, इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सौरभ भारद्वाज जैसे आप के शीर्ष नेता हार गए। हालाँकि आतिशी अपनी कालकाजी सीट बरकरार रखने में सफल रहीं। राजनिवास भवन ने पोस्ट कर कहा है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने रविवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना को अपना इस्तीफा सौंप दिया। 

शराब नीति घोटाले में जमानत पर रिहा होने के बाद अरविंद केजरीवाल के पद से इस्तीफा देने के बाद आतिशी पिछले साल सितंबर में मुख्यमंत्री बनी थीं।

निवर्तमान सदन में पार्टी के 62 सदस्य थे, जबकि भाजपा के सिर्फ आठ विधायक थे। चुनाव में करारी हार के बाद आतिशी ने कहा, 

मैंने अपनी सीट जीत ली है, लेकिन यह जश्न मनाने का समय नहीं है - यह लड़ाई का समय है। भाजपा की तानाशाही के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी।


आतिशी

हालांकि, उनकी जीत से आप में उनकी स्थिति मजबूत होने की संभावना है, जहां वह लगातार रैंकों में ऊपर उठ रही हैं।

इस बीच, बीजेपी ने दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री के नाम को अंतिम रूप देने के लिए उच्च स्तरीय विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे से लौटने के बाद अगले सप्ताह पार्टी सत्ता में आने का दावा पेश करेगी। 

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सीएम पद की दौड़ में कौन?

आप के ख़राब प्रदर्शन और नई दिल्ली सीट पर अपनी हार के बाद केजरीवाल ने कहा है कि वे लोगों के जनादेश को स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा, 'आज दिल्ली चुनाव के नतीजे घोषित हो गए हैं और हम लोगों के फ़ैसले को स्वीकार करते हैं। लोगों का फ़ैसला सर्वोपरि है। मैं बीजेपी को उसकी जीत पर बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि वह लोगों की उम्मीदों और अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी, जिन्होंने उसे बहुमत दिया है।' 

हालाँकि भाजपा नेतृत्व ने अभी तक मुख्यमंत्री पद के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, लेकिन नई दिल्ली के नवनिर्वाचित विधायक प्रवेश वर्मा को इस पद के लिए सबसे आगे देखा जा रहा है, क्योंकि उन्होंने आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को हराकर एक बड़ा धमाका किया है। पश्चिमी दिल्ली से दो बार सांसद रह चुके वर्मा को पिछले साल संसदीय चुनाव का टिकट नहीं दिया गया था। इसके बाद वे विधानसभा चुनाव मैदान में कूद पड़े और केजरीवाल को उस सीट पर चुनौती दी, जहां से वे लगातार तीन बार जीते थे और उन्हें 4,000 वोटों से हराया। वर्मा दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं।

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मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार की दौड़ में वर्मा के अलावा अन्य प्रमुख नामों में वरिष्ठ भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता, दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता, प्रमुख ब्राह्मण नेता और पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय, केंद्रीय नेताओं के साथ अपने करीबी संबंधों के लिए जाने जाने वाले दिल्ली भाजपा महासचिव आशीष सूद और वैश्य समुदाय से आरएसएस के मजबूत प्रतिनिधि जितेंद्र महाजन शामिल हैं। हालांकि, पार्टी नेताओं ने यह भी संकेत दिया कि राष्ट्रीय नेतृत्व शीर्ष पद के लिए कोई नया नाम प्रस्तावित कर सकता है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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