लोकसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल फिर से धरने पर बैठेंगे। इस बार यह आमरण अनशन दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे की माँग को लेकर है। केजरीवाल अपनी लड़ाई में ‘धरने’ को हथियार के तौर पर प्रयोग करते रहे हैं, आम आदमी पार्टी बनाने के पहले भी और दिल्ली में सरकार बनाने के बाद भी। दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को थप्पड़ मारने के कथित मामले में आईएएस अफ़सरों की आंशिक हड़ताल के बाद केजरीवाल ने 11 जून, 2018 को उप-राज्यपाल के घर में धरना दे दिया था। इससे पहले 14 मई, 2018 को भी उन्होंने शहर में सीसीटीवी लगाने की माँग को लेकर उप-राज्यपाल के घर के बाहर धरना दिया था। 2014 में भी केजरीवाल ने दिल्ली पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग को लेकर सड़क पर धरना दिया था। कई धरनों में काफ़ी हद तक उन्हें सफलता मिली तो कई में कुछ ख़ास फ़ायदा नहीं हुआ।
‘धरना चैम्पियन’ केजरीवाल का आमरण अनशन कितना कारगर?
- दिल्ली
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- 24 Feb, 2019
लोकसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल फिर से आमरण अनशन पर बैठेंगे। इस बार यह धरना दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे की माँग को लेकर है। केजरीवाल की लड़ाई में उनका धरना 'हथियार' कितना कारगर होगा?
