दिल्ली विकास प्राधिकरण केंद्र सरकार के अधीन है और इसलिए दिल्ली सरकार ज़मीन से जुड़े हुए फ़ैसले नहीं ले सकती। दिल्ली की पुलिस भी केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के नियंत्रण में है और दिल्ली सरकार का आदेश मानने के लिए बाध्य नहीं है।
अधिकारों को लेकर भिड़ते रहे केजरीवाल
सत्ता में आने के बाद से ही केजरीवाल राज्य सरकार को ज़्यादा अधिकार दिए जाने की माँग को लेकर एलजी से भिड़ते रहे। अप्रैल 2016 में ‘आप’ सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में एलजी के अधिकार को चुनौती दी थी। तब हाईकोर्ट ने फ़ैसला दिया था कि एलजी दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख हैं और वह कैबिनेट का फ़ैसला मानने को बाध्य नहीं हैं। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा। लंबी सुनवाई के बाद जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि एलजी स्वतंत्र रूप से फ़ैसला नहीं ले सकते और वह दिल्ली सरकार की सलाह मानने के लिए बाध्य हैं।
- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा था कि एंटी करप्शन ब्यूरो पर राज्य सरकार नहीं, केंद्र सरकार का अधिकार है। कोर्ट ने कहा था कि ज़मीन, पुलिस और क़ानून व्यवस्था केंद्र सरकार के पास ही रहेंगे। कोर्ट के फ़ैसले के बाद केजरीवाल ने इसे दिल्ली की जनता और लोकतंत्र के ख़िलाफ़ बताया था।
दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद ज़मीन और पुलिस दिल्ली सरकार के अधीन आ जाएँगे और इससे उसकी ताक़त में इज़ाफ़ा होगा। इसी की माँग केजरीवाल लंबे समय से कर रहे हैं।
पुलिस को लेकर है पेच
दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के विरोध में जो सबसे बड़ा तर्क है वह यह कि पुलिस को राज्य सरकार के अधीन नहीं किया जा सकता। 2015 में सत्ता में आने के बाद से ही केजरीवाल सरकार आरोप लगाती रही है कि मोदी सरकार दिल्ली पुलिस के द्वारा उसके विधायकों को परेशान करती रही है। अगर राज्य व केंद्र सरकार में लगातार टकराव रहे और पुलिस राज्य के पास हो तो वह केंद्र के ख़िलाफ़ इसका इस्तेमाल कर सकती है। इससे सत्ता के दो केंद्र बन सकते हैं और राष्ट्रीय राजधानी में क़ानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है।
- दूसरा तर्क यह है कि दिल्ली में कई देशों के दूतावास मौजूद हैं, साथ ही केंद्र सरकार के मंत्रियों से लेकर सभी सांसद भी यहाँ रहते हैं। अगर राज्य सरकार किसी दूतावास के अधिकारी के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई कर दे तो इससे भारत के उस देश के साथ संबंध ख़राब होने का ख़तरा है। क्योंकि दुनिया के अन्य देशों के साथ विदेश नीति के तहत अच्छे संबंध बनाए रखने का काम केंद्र सरकार का है न कि राज्य सरकार का। इसके अलावा अगर राज्य सरकार केंद्र के किसी मंत्री के ख़िलाफ़ भी अगर कार्रवाई कर दे तो राज्य और केंद्र आमने-सामने आ सकते हैं।
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