दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुरुवार 21 दिसंबर को भी ईडी के समक्ष पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हुए हैं। ईडी ने उन्हें दिल्ली शराब घोटाला मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था। यह लगातार दूसरी बार है कि ईडी के बुलावे पर केजरीवाल उपस्थित नहीं हुए हैं।
इस बार ईडी के समक्ष पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं होने का कारण केजरीवाल का विपश्यना मेडिटेशन कोर्स के लिए जाना बताया जा रहा है। ईडी के नोटिस का केजरीवाल ने जवाब भेजा है। इसमें उन्होंने कहा है कि यह राजनीति से प्रेरिता है।
उन्होंने ईडी को भेजे अपने जवाब में कहा है कि मैंने ईमानदारी और पारदर्शिता से अपना जीवन जिया है और मेरे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने इस पत्र में ईडी से कहा है कि वह उन्हें भेजा समन वापस ले।
ध्यान रहे कि ईडी ने केजरीवाल को 18 दिसंबर को समन भेज कर 21 दिसंबर को ईडी कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया था। ईडी उनसे दिल्ली शराब नीति घोटाले मामले में पूछताछ करना चाहती है। हालांकि वह 20 दिसंबर को ही विपश्यना केंद्र चले गए हैं और करीब 10 दिनों तक वहीं रहेंगे।
विपश्यना करने क्यों गए केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने समन भेज कर 21 दिसंबर को पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन वह इसे नजरअंदाज कर विपश्यना करने के लिए चले गए। वह 20 दिसंबर से 30 दिसंबर तक विपश्यना करेंगे। इसके कारण वह 21 दिसंबर को ईडी के समक्ष उपस्थित नहीं हुए हैं। पिछले दिनों आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्डा ने कहा था कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 19 दिसंबर से विपश्यना के लिए प्रस्थान करेंगे। वह नियमित रूप से विपश्यना के लिए जाते हैं। यह उनका पहले से निर्धारित और पहले से घोषित कार्यक्रम है।
वह अपने वकीलों की सलाह पर निर्णय लेंगे कि ईडी को क्या जवाब देना है या नहीं देना है। राघव चड्डा के इस बयान के बाद से ही मान लिया गया था कि अरविंद केजरीवाल ईडी के समन को फिर एक बार नजरअंदाज करेंगे और पूछताछ के लिए नहीं जाएंगे। अब यहां यह सवाल उठ रहा है कि अरविंद केजरीवाल विपश्यना करने क्यों गए हैं?
अगर वह विपश्यना करने जाते रहते भी हैं तो फिलहास इसे टाल सकते थे। वह 21 दिसंबर के बाद भी विपश्यना करने जा सकते थे। राजनैतिक विश्लेषक इस सवाल पर ईडी के समन और विपश्यना के बीच संबंधों को जोड़ रहे हैं।
वहीं उनके विरोधियों का कहना है कि केजरीवाल ईडी के समक्ष पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं होना चाहते हैं। उनके कानूनी सलाहकारों ने भी उन्हें ईडी के समक्ष नहीं जाने की सलाह दी होगी। ऐसे में उन्हें कोई तो कारण बताना होगा कि वह क्यों नहीं पहुंचे इसलिए वह विपश्यना करने चले गए हैं।
2 नवंबर को भी ईडी कार्यालय नहीं गए थे केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल को कथित तौर पर हुए दिल्ली शराब घोटाले मामले पिछली बार जब 2 नवंबर को ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था तब भी वह उपस्थित नहीं हुए थे। उस समय उन्होंने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी व्यस्ताओं का हवाला देकर आने में असमर्थता जताई थी।अब यह लगातार दूसरी बार है जब वह ईडी के समन को नजरअंदाज कर पूछताछ के लिए नहीं पहुंचे हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक ईडी के तीन सम्मन को नजरअंदाज किया जा सकता है। इसलिए वह अपने कानूनी सलाहकारों की सलाह पर ही ईडी के समन को नजरअंदाज करने या पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं होने का जोखिम ले रहे हैं।
वह सोच-समझ कर कानूनी तरीके से ईडी का सामना कर रहे हैं। कई राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को आशंका है कि, हो सकता है कि पूछताछ के लिए बुलाकर ईडी उन्हें गिरफ्तार कर ले। केजरीवाल अभी किसी गिरफ्तारी से बचना चाहते हैं।
उनकी पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं उप मुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को भी ईडी ने पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। अरविंद केजरीवाल की सबसे बड़ी चिंता इस समय यह है कि अगर ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया तो दिल्ली का मुख्यमंत्री किसे बनाया जाएगा। वह आम आदमी पार्टी के संयोजक भी हैं। पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं। उनके बिना पूरी पार्टी को एकजुट रखना मुश्किल है। इसलिए केजरवाल को अभी अपनी पार्टी की भी चिंता है।
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