दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके लोगों को बैठक के लिए आमंत्रित किया, लेकिन केजरीवाल की टीम आज उस बैठक के लिए नहीं जा रही है। उन्होंने यह कह दिया कि कभी और समय निकालें। क्या केजरीवाल का यह बयान दोनों के बीच चल रहे तनाव के संदर्भ में है या फिर कुछ और वजह है?
एलजी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उनके मंत्रियों और आम आदमी पार्टी के 10 विधायकों को बैठक के लिए शुक्रवार को आमंत्रित किया। एलजी सचिवालय ने सीएम से उन विधायकों की सूची भेजने को भी कहा जो उनके साथ आएंगे। हालाँकि, केजरीवाल ने यह कहा है कि उस दिन उनके पंजाब जाने की उम्मीद है। उनके कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया, 'धन्यवाद एलजी सर। मैं कल पंजाब जा रहा हूं। हम माननीय उपराज्यपाल से बैठक के लिए एक और अप्वाइंटमेंट देने का अनुरोध करते हैं।'
बैठक के लिए एलजी का आमंत्रण तब आया है जब हाल में आप सरकार और एलजी के बीच विवाद नयी ऊँचाई पर पहुँच गया है। फ़िनलैंड में पाँच दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए 50 प्राथमिक शिक्षकों को भेजने के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव सहित कई मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच टकराव रहा है।
केजरीवाल तो दस दिन पहले ही विधानसभा के विशेष सत्र में उपराज्यपाल पर जमकर बरसे थे। उन्होंने कहा था कि हमारे लिए जनतंत्र, संविधान और क़ानून सर्वोपरि हैं, एलजी साहब को भी क़ानून, दिल्ली की जनता और उनके द्वारा चुनी विधानसभा का सम्मान करना चाहिए।
केजरीवाल और उनकी पार्टी ने उपराज्यपाल पर आरोप लगाया है कि प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फ़िनलैंड भेजने की दिल्ली सरकार की योजना को रद्द कर दिया गया है।
एलजी सक्सेना ने जोरदार तरीके से इसका खंडन किया है, उन्होंने जोर देकर कहा है कि वे केवल इस पर आने वाले ख़र्च और लाभ का विश्लेषण करना चाहते हैं।
20 जनवरी को केजरीवाल को लिखे एक पत्र में उपराज्यपाल ने कहा कि उनके लिए इतने कम समय में 70-80 लोगों की मेजबानी करना संभव नहीं था और अगर केजरीवाल और सिसोदिया उनसे मिलने के लिए सहमत होते तो दोपहर का भोजन भी करते।
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