किसानों की ट्रैक्टर रैली में प्रदर्शन करने वाले कुछ लोगों ने मंगलवार को लाल क़िले की प्राचीर से पीले रंग का झंडा फहराया। वह वही जगह है जहाँ से प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त के दिन तिरंगा झंडा फहराते हैं। पुलिस की बैरिकेडिंग पार करते हुए किसान यहाँ तक पहुँचे थे। किसानों की ट्रैक्टर रैली को जिस रूट की मंजूरी दी गई थी उसमें लाल क़िले का रूट शामिल नहीं था। हालाँकि, कुछ देर में ही अर्द्धसैनिक बल के जवान वहाँ पहुँच गए।
इसके बावजूद किसान दिल्ली पुलिस की बैरिकेडिंग को तोड़ते हुए लाल क़िले परिसर में जा घुसे थे। परिसर में किसानों के साथ-साथ ट्रैक्टर भी देखे जा सकते हैं। ये सभी आईटीओ से होते हुए वहाँ तक पहुँचे थे। आईटीओ पर पुलिस के साथ किसानों की हिंसात्मक झड़प भी हुई।
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने किसानों को ट्रैक्टर रैली निकालने के लिए रविवार को ही मंजूरी दे दी थी, लेकिन इसने कई शर्तें भी लगा दी थीं। इन शर्तों पर किसानों को आपत्ति थी। इनमें सबसे महत्वपूर्ण रूट को लेकर किसान नाराज़ थे। एक शर्त यह भी थी कि किसान राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह ख़त्म होने के बाद रैली निकालेंगे। लेकिन किसानों ने उससे पहले ही रैली निकालनी शुरू कर दी।
लाल क़िले आने के रास्ते में आईटीओ के पास ही पुलिस और किसानों की झड़प के बीच एक आदमी की मौत हो गई है।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, आईटीओ पर व्यक्ति की मौत तब हुई जब उसके ट्रैक्टर पर फ़ायरिंग की गई और वह ट्रैक्टर पलट गया। 'इंडिया टुडे' की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रैक्टर पलटने से उसकी मौत हुई है। हालाँकि, पुलिस की तरफ़ से अभी तक आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है।
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