आम आदमी पार्टी के बड़े नेता और सांसद संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी का संकट बढ़ गया था लेकिन अब संजय सिंह की जमानत के बाद आप को बड़ी राहत मिली है।
संजय सिंह को 4 अक्टूबर को ईडी ने गिरफ्तार किया था। करीब 6 माह तक वह जेल में रहे। कई बार उनकी जमानत याचिका खारिज हो गई थी। ऐसे में माना जा रहा था कि कहीं मनीष सिसोदिया की तरह उन्हें भी कहीं एक वर्ष तक या इससे भी ज्यादा जेल में न रहना पड़े। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दुबारा अपील करने के बाद उन्हें जमानत मिल गई है।
माना जाता है कि जिस पीएमएलए कानून के तहत संजय सिंह को गिरफ्तार किया गया था उसमें बहुत मुश्किल है किसी आरोपी को जमानत मिलना। ऐसे में संजय सिंह को अगर जमानत मिल गई है तो अब बड़ा सवाल है कि क्या दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी के दूसरे नेताओं को भी आने वाले दिनों में राहत मिलेगी?
क्या मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल को भी इससे जमानत मिलने का रास्ता साफ हो गया है? क्या संजय सिंह को जमानत मिलने से आम आदमी पार्टी और पूरे विपक्ष को फायदा होने वाला है?
वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह कहते हैं कि संजय सिंह को जमानत मिलने से निश्चित रूप से ईडी का केस कमजोर हुआ है। इस तरह के केस में तभी जमानत मिलती है जब कोर्ट को लगे कि आरोपी पर मामला बनने का आधार नहीं है।
उन्हें ऐसे माहौल में यह जमानत मिली है जब देश में केजरीवाल की गिरफ्तारी से राजनैतिक माहौल में बड़ी गर्मी आ गई है, विपक्ष का कैंपेन जो सुस्त था वह तेज हो गया है, विपक्ष ने पिछले दिनों संयुक्त रैली की है।
संजय सिंह विपक्ष का एक बड़े स्वर हैं और उनका आजाद होना चुनाव में आम आदमी पार्टी और समूचे विपक्ष के लिए फायदेमंद होगा। कोर्ट ने कहा है कि व्यापारी दिनेश अरोड़ा ने शुरुआत में जो अपना बयान दिया था उसमें संजय सिंह का नाम नहीं लिया था।
दिनेश अरोड़ा ने अपने 9 बयानों में संजय सिंह का नाम नहीं लिया था। 10वें बयान में संजय सिंह का तब नाम लिया था। इसके बाद ही संजय सिंह को गिरफ्तार किया गया था।
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सुप्रीम कोर्ट से ही थी जमानत की उम्मीद
सुप्रीम कोर्ट के वकील राकेश कुमार सिन्हा कहते हैं कि इस तरह के केस में आमतौर पर निचली अदालत जमानत नहीं देती है। इस केस में सुप्रीम कोर्ट से ही जमानत मिलने की उम्मीद थी। 9 बार दिनेश अरोड़ा ने अपने बयान में संजय सिंह का नाम नहीं था, 10वें में नाम लिया इसलिए वह बयान संदेह के घेरे में आ गया।दिनेश अरोड़ा के जिस बयान के आधार पर ईडी ने संजय सिंह के घर पर छापा मारा और गिरफ्तार किया था वह बयान संजय सिंह को दिखाया भी नहीं गया था, उनकी लीगल टीम के पास उपलब्ध भी नहीं था। इस तकनीकी बात को संजय सिंह के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मजबूती से रखा। संजय सिंह के केस में कोई रिकवरी भी नहीं हुई थी। संजय सिंह सीधे पीएमएलए के तहत पकड़े गए, वह भी इसलिए कि किसी व्यक्ति ने उनके खिलाफ बयान दिया था।
राकेश कुमार सिन्हा कहते हैं कि इस केस में संजय सिंह को भले ही जमानत मिल गई है लेकिन मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल को इसके कारण राहत मिलेगी यह कहना सही नहीं होगा। क्योंकि जब दिल्ली शराब नीति बन रही थी तब मनीष सिसोदिया उत्पाद मंत्री थे अरविंद केजरीवाल सीएम हैं इसलिए उन दोनों को तो जिम्मेदार ठहराया जा सकता है लेकिन संजय सिंह इन पदों पर नहीं थे।
कोई उत्पाद आयुक्त इनके घर पर नहीं आया। किसी फाइल पर संजय सिंह ने नोट नहीं लिखा। न कोई फाइल इनके जरिए गई है। संजय सिंह एक राजनेता हैं और उनसे मिलने के लिए हर दिन कई तरह के लोग आते रहते हैं।
राकेश कुमार सिन्हा कहते हैं कि आम आदमी पार्टी में संजय सिंह को आदर की नजर से देखा जाता है और लोग उनकी बातें मानते हैं। पार्टी के और कुछ नेता जेल चले जाते तो पार्टी में बिखराव आ सकता था। ऐसे में पार्टी के निर्णय लेने के लिए एक व्यक्ति चाहिए था जिसे पार्टी की समझ हो। उनके बाहर आने से बिखराव को रोकने में मदद मिलेगी। पार्टी में अब एक संरक्षक आ गया है।
वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह कहते हैं कि माना जा रहा है कि संजय सिंह के जेल से बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी को बहुत बड़ा बूस्ट मिल गया है। अभी दो दिन पहले ही विपक्ष की रैली में सभी विपक्षी दलों के नेता आएं। संजय सिंह एक मुखर राजनेता हैं।
आम आदमी पार्टी को एक स्टार कैंपेनर मिल गया है इस लोकसभा चुनाव में जिसका फायदा उसे मिलेगा। वह राजनैतिक समझ रखते हैं और अपनी बात कहने का तरीका वह जानते हैं। आम आदमी पार्टी और विपक्ष को उनके बाहर आने से चुनावी कैंपेन में बहुत मदद मिलेगी।
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