दिल्ली आबकारी नीति मामले में अब ताज़ा नाम आम आदमी पार्टी के विधायक दुर्गेश पाठक का सामने आया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जैसे दिग्गज नेताओं को तो केंद्रीय जाँच एजेंसियों ने गिरफ्त में लिया ही है, तो क्या अब दुर्गेश पाठक की बारी है?
सीबीआई ने सोमवार को मामले में अपने आरोपपत्र में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ पाठक और चार अन्य का नाम भी शामिल किया है। हालाँकि पाठक का नाम सीबीआई द्वारा दर्ज की गई शुरुआती एफआईआर में नहीं था, लेकिन ईडी ने अब तक उनसे दो बार पूछताछ की है।
दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा कुछ महीनों के लिए लागू की गई थी। जब इसको लेकर सवाल उठने लगे तो बाद में इस नीति को रद्द कर दिया गया। इस मामले को लेकर बीजेपी ने भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगाए। एलजी ने केंद्रीय जाँच की सिफारिश कर दी।
इस साल मार्च में दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में ईडी द्वारा दायर एक रिमांड आवेदन में आरोप लगाया गया था कि ‘साउथ ग्रुप’ ने दिल्ली आबकारी नीति से अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए रिश्वत दी थी। साउथ ग्रुप में दक्षिण भारत में स्थित राजनेता, व्यवसायी और बिचौलिए शामिल हैं। आप पर आरोप है कि उसने 2022 में गोवा विधानसभा चुनाव के लिए अपने अभियान के लिए इन रिश्वतों का इस्तेमाल किया। ईडी ने आरोप लगाया कि यह पैसा हवाला लेनदेन के नेटवर्क के जरिए गोवा पहुंचा। उस समय दुर्गेश पाठक पार्टी के गोवा प्रभारी थे।
इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि हालांकि कई लोगों का मानना है कि पार्टी ने उन्हें उनकी उम्र और अनुभव से कहीं ज़्यादा ज़िम्मेदारियाँ सौंपी हैं, लेकिन आप के नेताओं का कहना है कि पाठक एक अच्छे आयोजक और पार्टी के अहम व्यक्ति हैं। वह राजिंदर नगर विधानसभा से विधायक हैं। राजिंदर नगर में पंजाबियों की आबादी क़रीब 35 प्रतिशत है। निर्वाचन क्षेत्र के शहरी गांवों में जाट, यादव और राजपूतों की मिश्रित आबादी है।
अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार दुर्गेश पाठक मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर करने के बाद पाठक सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए 2010 में दिल्ली पहुँचे थे। कुछ ही महीनों के भीतर राजधानी में अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन हुआ, जिसके कारण बाद में आप का गठन हुआ। पाठक उन कई युवाओं में से एक थे, जिन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से राजनीति में कदम रखा। पाठक ने वर्षों तक आप में काम किया। 2013 में उन्होंने केजरीवाल के लिए चुनाव अभियान का प्रबंधन किया जिन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराकर एक चौंकाने वाला उलटफेर किया। लगभग एक साल बाद जब दिल्ली में फिर से चुनाव हुए तो पाठक को दिल्ली के सह-संयोजक के पद पर पदोन्नत किया गया। आप ने उस चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतीं। बाद में पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले, उन्हें संजय सिंह के साथ सह-प्रभारी बनाया गया।
अपनी राय बतायें