दिल्ली में प्रतिबंध के बाजवूद पटाखे फोड़े जाने के लिए आम आदमी पार्टी के मंत्री गोपाल राय ने बीजेपी को ज़िम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि 'बड़ी संख्या में लोगों ने पटाखे नहीं जलाए, लेकिन कुछ लोगों ने एक उद्देश्य से पटाखे जलाए और ऐसा बीजेपी ने कराया'। उन्होंने साफ़ तौर पर बीजेपी पर पटाखे जलाने के लिए उकसाने का आरोप लगाया।
दीपावाली के एक दिन बाद शुक्रवार को दिल्ली के कुछ हिस्सों में हवा की गुणवत्ता यानी एक्यूआई ख़राब होकर 'ख़तरनाक' श्रेणी में आ गई। शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में धुंध की चादर छाई रही। अधिकांश क्षेत्रों में एक्यूआई 451 के आसपास बना रहा।
201 से 300 के बीच एक्यूआई को ‘ख़राब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत ख़राब’ और 401 और 500 के बीच होने पर उसे ‘गंभीर’ माना जाता है। एक्यूआई हवा में मौजूद 'पीएम 2.5', 'पीएम 10', सल्फ़र डाई ऑक्साइड और अन्य प्रदूषण के कणों का पता चलता है। पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर वातावरण में मौजूद बहुत छोटे कण होते हैं जिन्हें आप साधारण आँखों से नहीं देख सकते।
जनपथ में हवा की गुणवत्ता शुक्रवार तड़के ख़तरनाक श्रेणी में दर्ज की गई, जहाँ पीएम 2.5 की मात्रा 655.07 थी। राष्ट्रीय राजधानी में कई लोगों ने गले में जलन और आँखों में पानी आने की शिकायत की।
सरकार के प्रतिबंध की पूरी तरह से अवहेलना करते हुए दिल्ली में कई स्थानों पर दीपावली पर पटाखे फोड़े गए। प्रदूषण में पराली जलाने का भी व्यापक असर रहा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी SAFAR के अनुसार, दिल्ली के शुक्रवार के पीएम2.5 के स्तर में पराली जलाने का हिस्सा 36 प्रतिशत रहा, जो इस मौसम में सबसे अधिक है।
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दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने भी कहा, 'दिल्ली में पिछले 5 वर्षों की तुलना में इस साल अक्टूबर में सबसे कम प्रदूषण स्तर दर्ज किया गया। लेकिन पिछले 3 दिनों से पटाखों के फटने और पराली जलाने के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। हालाँकि, यह पिछले वर्षों की तुलना में कम है।'
उन्होंने शहर में भीषण वायु प्रदूषण के लिए 3,500 पराली जलाने के मामले को भी ज़िम्मेदार ठहराया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, रात 8 बजे तक आनंद विहार स्टेशन पर पीएम 2.5 का स्तर 466 था। बुराड़ी क्रॉसिंग (हरियाणा सीमा) पर यह 500 था। चंडी चौक पर यह 358 था, मंदिर मार्ग पर यह 466 था। रात 10 बजे तक यह इन जगहों पर 500 पहुँच गया था।
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