किसान आंदोलन से ख़ासे प्रभावित राज्य हरियाणा में एक बार फिर बीजेपी और जेजेपी के बड़े नेताओं को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा है। शुक्रवार को बीजेपी के राज्यसभा सांसद राम चंद्र जांगड़ा को किसानों ने घेर लिया तो बुधवार को उप मुख्यमंत्री और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला का विरोध किया था।
बीजेपी और जेजेपी राज्य में मिलकर सरकार चला रहे हैं। बीते दिनों हुए एलनाबाद सीट के उपचुनाव में भी किसानों ने बीजेपी-जेजेपी उम्मीदवार गोविंद कांडा को हराने की अपील इस क्षेत्र के लोगों से की थी और यहां इस गठबंधन को हार मिली है।
किसानों को कहा- ‘बैड एलीमेंट’
बहरहाल, किसान जांगड़ा के एक बयान को लेकर नाराज़ थे। जांगड़ा ने बीते दिनों कहा था, “किसान आंदोलन में जो लोग बैठे हैं, वे दारूबाज़, निकम्मे और निठल्ले लोग हैं, न वे घर के बस के हैं और न गांव वालों के।” उन्होंने कहा था कि धरने पर बैठे लोग ‘बैड एलीमेंट’ हैं।
गाड़ी में तोड़फोड़
जांगड़ा हिसार जिले के नारनौंद में एक धर्मशाला का उद्घाटन करने आए थे। वहां कार्यक्रम ख़त्म होने के बाद जब जांगड़ा लौट रहे थे, तभी यह घटना हुई। बड़ी संख्या में किसान वहां पहुंच गए। इस दौरान जांगड़ा की गाड़ी में तोड़फोड़ हुई और किसानों ने उन्हें काले झंडे भी दिखाए। किसानों ने बीजेपी सरकार के ख़िलाफ़ भी जमकर नारेबाज़ी की।
अगर पुलिस बल साथ नहीं होता तो कोई अनहोनी घट सकती थी। क्योंकि किसान जांगड़ा से बुरी तरह नाराज़ दिखाई दे रहे थे। पुलिस ने किसानों द्वारा विरोध की आशंका को देखते हुए बैरिकेड्स भी लगाए थे लेकिन फिर भी वह किसानों को जांगड़ा के पास पहुंचने से नहीं रोक सकी। पुलिस ने काफ़ी मशक्कत के बाद जांगड़ा को वहां से बाहर निकाला।
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‘हत्या की कोशिश’
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जींद में चौटाला का विरोध
इसके पहले दुष्यंत चौटाला जब गुरूवार को जींद पहुंचे थे तो उन्हें भी किसानों के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा था। किसान आंदोलन शुरू होने के बाद दुष्यंत का यह पहला जींद दौरा था। दुष्यंत के आने पर सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए थे क्योंकि पुलिस-प्रशासन को इस बात का पता था कि किसान उप मुख्यमंत्री का विरोध करने के लिए ज़रूर आएंगे।
चौटाला को जींद में पार्टी के दफ़्तर पहुंचना था लेकिन दफ़्तर के पास ही किसान बड़ी संख्या में इकट्ठे हो गए और उन्हें वहां से हटाने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। पुलिस के पूरा जोर लगाने के बाद भी चौटाला पार्टी के दफ़्तर तक नहीं पहुंच सके।
यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी और जेजेपी के नेताओं को किसानों के ग़ुस्से का शिकार होना पड़ा हो। नवंबर, 2020 में दिल्ली के बॉर्डर्स पर किसान आंदोलन शुरू होने के बाद से ही किसान कई बार इन दलों के नेताओं को कई जगहों से उल्टे पांव लौटने को मज़बूर कर चुके हैं।
भारी पड़ रहा किसान आंदोलन!
किसान आंदोलन के बाद बीजेपी-जेजेपी का हरियाणा के स्थानीय निकाय चुनाव में प्रदर्शन ख़राब रहा था। तीन नगर निगमों में से बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को सिर्फ़ एक निगम में जीत मिली थी। इसके अलावा बरोदा सीट पर हुए उपचुनाव में भी बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था। तब इस गठबंधन के स्टार उम्मीदवार योगेश्वर दत्त चुनाव हार गए थे। इसके बाद एलनाबाद सीट भी बीजेपी-जेजेपी हार गए हैं।
हरियाणा के कई जिलों में खाप पंचायतें एलान कर चुकी हैं कि वे बीजेपी-जेजेपी के नेताओं को अपने इलाक़े में घुसने नहीं देंगे।
सियासी नुक़सान का डर!
किसान जिस तरह लगातार बीजेपी-जेजेपी के नेताओं का विरोध कर रहे हैं, उससे खट्टर सरकार के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गयी है। अगर किसान आंदोलन लंबा चलता है तो अगले विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन की सत्ता में वापसी की उम्मीदें भी बेहद कम हो जाएंगी। बीजेपी को किसान आंदोलन के कारण उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में भी बड़ा सियासी नुक़सान होने का डर सता रहा है।
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