ट्रैक्टर रैली हिंसा में मंगलवार को कम से कम 300 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। हिंसा के मामले में अब तक 22 एफ़आईआर दर्ज की जा चुकी हैं। क़रीब 200 लोगों को हिरासत में लिया गया है। घायल पुलिसकर्मियों को कई अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कई तसवीरों में देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मी किसानों की तुलना में काफ़ी कम पड़ गए। लाल क़िले के एक वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मी ख़ुद को बचाने के लिए खाई में कूद रहे हैं। किसानों के इस विरोध प्रदर्शन के दौरान ही आईटीओ के पास एक किसान की मौत हो गई है। हालाँकि, लाठीचार्ज में किसानों को भी चोटें आई हैं, लेकिन उनकी संख्या के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। चिल्ला में ट्रैक्टर पलटने से दो किसानों के घायल होने की भी ख़बर है।
इससे पहले सुबह रिपोर्टों में कहा गया था कि क़रीब 86 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। एलएनजेपी अस्पताल में 38 पुलिस कर्मियों को, सिविल लाइन अस्पताल में 11, अरुणा आसिफ अली अस्पताल में आठ और लेडी हार्डिंग और तीरथ राम शाह अस्पताल में चार-चार पुलिस कर्मियों को भर्ती कराया गया। महाराजा अग्रसेन, तारक, लाल बहादुर शास्त्री और बालाजी एक्शन अस्पतालों में भी घायलों को भर्ती कराया गया है।
बता दें कि दिल्ली में मंगलवार को हालात इतने बिगड़ गए थे कि हिंसा तक हुई। इसमें एक व्यक्ति की जान भी चली गई। इससे पहले गणतंत्र दिवस समारोह के बीच ही दिल्ली में किसानों ने ट्रैक्टर की रैली निकालनी शुरू कर दी थी और हिंसा की ख़बरें आईं। पुलिस की ओर से लाठी चार्ज किया गया और आँसू गैस के गोले दागे गए। पथराव की भी घटनाएँ हुईं।
प्रदर्शन करने वाले कुछ लोगों ने मंगलवार को लाल क़िले की प्राचीर से पीले रंग का झंडा फहरा दिया। पुलिस की बैरिकेडिंग पार करते हुए किसान यहाँ तक पहुँचे थे। किसानों की ट्रैक्टर रैली को जिस रूट की मंजूरी दी गई थी उसमें लाल क़िले का रूट शामिल नहीं था।
दिल्ली पुलिस ने किसानों को ट्रैक्टर रैली निकालने के लिए रविवार को ही मंजूरी दे दी थी, लेकिन इसने कई शर्तें भी लगा दी थीं। इन शर्तों पर किसानों को आपत्ति थी। इनमें सबसे महत्वपूर्ण रूट को लेकर किसान नाराज़ थे। एक शर्त यह भी थी कि किसान राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह ख़त्म होने के बाद रैली निकालेंगे। लेकिन किसानों ने उससे पहले ही रैली निकालनी शुरू कर दी।
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किसानों ने जब रैली निकाली तो वे पुलिस द्वारा मंजूर रूट से इधर-उधर भी हुए। किसान राजधानी दिल्ली के अंदरूनी हिस्सों तक पहुँच गए। केंद्रीय दिल्ली के आईटीओ के पास पुलिस ने उन्हें रोकने की नाकाम कोशिश की। पुलिस ने आँसू गैस के गोले छोड़े, लेकिन पुलिस वालों की तुलना में किसानों की तादाद बहुत ज़्यादा रही। चारों तरफ अफरातफरी का माहौल रहा।
आईटीओ पर भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात रहे और वहीं से पुलिस की बाधा को पार कर किसान निकले। आईटीओ से जो तसवीरें आई हैं उनमें दिख रहा है कि पुलिसकर्मी ट्रैक्टर को रोकने का प्रयास कर रहे हैं और किसान ट्रैक्टर तेज़ दौड़ाते हुए आगे निकल रहे हैं।
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