अभी हाल ही में आई फ़िल्म ‘सर’ को देख कर ऐसा लगा जैसे एक आदर्श दुनिया को, परिकथाओं की दुनिया को अपनी आँखों से देख रहे हों। या शायद यह निर्देशिका रोहेना गेरा की ही कल्पना थी जो नदी के दो किनारों को एक देखना चाह रही थीं। ‘सर’ फ़िल्म, आधारित है एक ऐसे स्त्री-पुरुष संबंध पर जहाँ पर पुरुष मालिक की भूमिका में है और स्त्री नौकर की। पुरुष, शक्ति और अधिकार की भूमिका में है तो स्त्री, असहाय और मजबूर। पुरुष, उच्च वर्गीय विशेषाधिकारों से लैस है, तो स्त्री नितांत निम्नवर्गीय संवेदनशीलता और अभावों से।