अभी हाल ही में आई फ़िल्म ‘सर’ को देख कर ऐसा लगा जैसे एक आदर्श दुनिया को, परिकथाओं की दुनिया को अपनी आँखों से देख रहे हों। या शायद यह निर्देशिका रोहेना गेरा की ही कल्पना थी जो नदी के दो किनारों को एक देखना चाह रही थीं। ‘सर’ फ़िल्म, आधारित है एक ऐसे स्त्री-पुरुष संबंध पर जहाँ पर पुरुष मालिक की भूमिका में है और स्त्री नौकर की। पुरुष, शक्ति और अधिकार की भूमिका में है तो स्त्री, असहाय और मजबूर। पुरुष, उच्च वर्गीय विशेषाधिकारों से लैस है, तो स्त्री नितांत निम्नवर्गीय संवेदनशीलता और अभावों से।
‘सर’ की समीक्षा: स्त्री-पुरुष सम्बन्धों की परिकथा
- सिनेमा
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- 11 Dec, 2020

अभी हाल ही में आई फ़िल्म ‘सर’ को देख कर ऐसा लगा जैसे एक आदर्श दुनिया को, परिकथाओं की दुनिया को अपनी आँखों से देख रहे हों। ‘सर’ फ़िल्म, आधारित है एक ऐसे स्त्री-पुरुष संबंध पर जहाँ पर पुरुष मालिक की भूमिका में है और स्त्री नौकर की।
असमानता के इतने चरम स्तर पर भी, दोनों ही एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं, और सामाजिक संवेदनाओं से न सही पर हमारी मानवीय संवेदनाओं को तो यह संबंध सहज और नैसर्गिक लगता है। और इस फ़िल्म को बनाने के पीछे शायद यही उद्देश्य भी लगता है कि असंभव लगने वाली परिस्थितियों में भी वो मूलभूत गुण, जो मानव को मानव बनाते हैं, वह उन्हें एक-दूसरे के प्रति बिना किसी छद्म के, बिना किसी सामाजिक आवरण के, आने को प्रेरित करते हैं।