कमाल की चीज़ है, हिंदी सिनेमा। समाज का हर ट्रेंड, मानवीय व्यवहार की हर गुत्थी, आपकी आम जिंदगी से जुड़े हर संदर्भ आपको किसी ना किसी हिंदी फिल्म में मिल जाएंगे। आज एक खास तरह ट्रेंड की बात कर रहा हूँ। ये ट्रेंड है, अपने उत्कर्ष के दिनों में लोकप्रियता के चरम पर रहे कलाकारों के सठियाने के बाद का रचनात्मक व्यवहार। दो उदाहरण सबसे बड़े हैं, देव आनंद और मनोज कुमार।