बासु भट्टाचार्य जब हिंदी के मशहूर उपन्यासकार फणीश्वर नाथ रेणु की कृति ‘तीसरी कसम उर्फ़ मारे गए गुलफाम’ पर आधारित फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्देशन कर रहे थे तो उनके साथ सहायक निर्देशक के रूप में जुड़े थे बासु चटर्जी। जब बासु चटर्जी ने फ़िल्म बनाने का फ़ैसला किया तो उन्होंने चुना हिंदी के उपन्यासकार राजेन्द्र यादव की कृति ‘सारा आकाश’ को। यह महज संयोग था या एक प्रयोग, इसका तो पता नहीं लेकिन बासु चटर्जी की इस फ़िल्म को मृणाल सेन की फ़िल्म ‘भुवन शोम’ के साथ समांतर सिनेमा की शुरुआती फ़िल्म माना जाता है।