जुलाई महान फ़िल्मकार और रंगशिल्पी एमएस सथ्यू के लिए मानसून की ज़ोरदार बारिश से ज़्यादा ख़ुशी बरसाने वाली साबित होती है। जुलाई उनसे मोहब्बत रखने वालों, दोस्तों और उनके शागिर्दों की शुभकामनाओं और बधाइयों के संदेशों से लबरेज़ रहती है लेकिन मैसूर श्रीनिवास सत्यनारायन की ज़िंदगी में आई सन 2020 की जुलाई की बात ही कुछ और है। इस जुलाई उन्होंने अपने जीवन के 90 सक्रिय वसंत पूरे कर लिए। उनके चाहने वालों के 'हैप्पी बर्थ डे' के पहाड़ के बीच उनके स्टूडेंट और फ़िल्म व थिएटर के मशहूर अभिनेता मसूद अख़्तर ने घोषणा की है कि वह उस्ताद के ऊपर बनाई अपनी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म की प्रस्तुतियाँ पूरे साल देश भर में करेंगे।
90 वसंत के पार: कहाँ-कहाँ से गुज़रे सथ्यू
- सिनेमा
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- 27 Jul, 2020

जैसा गुरु वैसा चेला। मसूद ने क़रीब 6 घंटे की समूची शूटिंग अपनी एक्टिंग की एवज़ में मिले मेहनताने में से पैसे बचा कर पूरी की है। मैसूर, बेंगलुरु, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ, अपनी कैमरा यूनिट के साथ सब जगह सथ्यू को 'फ़ॉलो' करते रहे। 'क्या यह डॉक्यूमेंट्री उनकी ओर से गुरु को दी जाने वाली गुरु दक्षिणा है?' मेरा सवाल सुनकर मसूद कुछ क्षण मुस्कराते हैं और फिर जवाब देते हैं ‘लेकिन सथ्यू साब द्रोणाचार्य नहीं हैं।’
सथ्यू साहब की शागिर्दी के 4 दशक के अनुभवों का निचोड़ और अपने टीचर के ऊपर 5 सालों के सघन डॉक्यूमेंटेशन का सारांश है- मसूद अख़्तर की 'कहाँ कहाँ से गुज़रे' (ए मैन ट्रेवलिंग थ्रू टाइम) फ़िल्म। फ़िल्म में अपनी 90 साला ज़िंदगी और अनुभवों की दास्ताँ सुनाने के लिए सेल्युलाइड और प्रोसीनियम की दुनिया के उस्ताद ख़ुद तो मौजूद हैं ही, मनोरंजन की रंग-बिरंगी दुनिया के दूसरे बहुत सारे ख़लीफ़ा भी बेतक़ल्लुफ़ी से अपने अजीज़ की बाबत बतियाते मिलते हैं।