योगी आदित्यनाथ ने मुख्ममंत्री बनते ही अपराधियों से निपटने का एलान किया। 'एनकाउंटर' ही अपराध और अपराधियों का एकमात्र इलाज है', इस 'नेरेटिव' को आम समाज में स्थापित करने की एक मुहिम चलायी गयी। यह एक सोची समझी रणनीति थी।
29 जुलाई की सुबह आगरा के थाना एत्मादपुर के गाँव रसूलपुर में स्थानीय ग्राम प्रधान का शव एक खाली पड़ी झोपड़ी में पूरी तरह जला हुआ बरामद हुआ।
28 जुलाई को कानपुर देहात के थाना भोगनीपुर के अंतर्गत बृजेश पाल की हत्या की ख़बर आई।
17 जुलाई को बृजेश का अपहरण किया गया था। इसी दिन परिजनों के पास 20 लाख रुपये की फिरौती की कॉल आई। फिरौती जमा न करवा पाने की एवज़ में उसे मौत के घाट उतार दिया गया। पुलिस चुपचाप तमाशबीन बनी सब कुछ घटता देखती रही।
जुलाई में ही कानपुर के संजीत की ह्त्या कर दी गई। उसका 22 जून को अपहरण हुआ था।
पुलिस ने न सिर्फ़ एफआईआर दर्ज करवाने में 3 दिन लगा दिए। संजीत के परिजनों को फिरौती की रक़म 30 लाख रुपये अदा करने के लिए मनाया और अंततः रक़म दिलवा भी दी, जबकि अपहृत की पहले ही हत्या हो चुकी थी।
जुलाई में ही गोरखपुर के पिपराइच थानांतर्गत व्यवसायी महाजन गुप्ता के 13 वर्षीय पुत्र बलराम को अपहरण के बाद मार डाला गया। उसके परिजनों से 13 करोड़ रुपये की रक़म माँगी गई थी।
जुलाई में ही गोंडा के करनैलगंज नगर के गाड़ी बाजार मोहल्ले के कारोबारी हरी गुप्ता के 5 साल के बेटे नमो का अपहरण कर लिया गया। फिरौती स्वरूप 4 करोड़ रुपये की रक़म माँगी गयी। पुलिस ने बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया।
जुलाई में ही लखनऊ के अलीगंज क्षेत्र से लखीमपुर खीरी के सुजीत की गुमशुदगी की ख़बर मिली।
जुलाई में कानपुर में हुई 8 पुलिस पुलिस कर्मियों की हत्या से पूरा देश वाक़िफ़ है ही।
लेकिन ठीक इसी दिन इलाहाबाद में एक ही परिवार के 4 लोगों की नृशंस हत्या कर दी गयी, यह बात लोगों को नहीं मालूम।
लोगों को यह भी नहीं मालूम कि प्रदेश में इसी दिन एक दलित लड़की और उसके पिता की स्थानीय दबंगों ने हत्या कर दी थी। अगले सप्ताह लड़की की शादी होने वाली थी।