हमें कोई दोस्त या कोई रिश्तेदार किसी बात पर थप्पड़ मार दे तो शायद हम उससे पूरी जिंदगी बात न करें। क्योंकि एक तो उसका हमें मारना और दूसरा थप्पड़ का लगना हमारे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाता है। फिर अगर यही चीज शादी के बाद पति-पत्नी के बीच होती है, मतलब यह कि अगर पति गुस्से में आकर पत्नी को एक थप्पड़ मार दे तो घर वाले, बाहर वाले, रिश्तेदार महिला (पत्नी) से ही कहने लगते हैं कि शादी में इतना तो झेलना ही पड़ता है।
‘थप्पड़’ फ़िल्म देखने के बाद घरेलू हिंसा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएंगी महिलाएं?
- सिनेमा
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- 23 Feb, 2020

भारतीय समाज में पति का पत्नी को थप्पड़ मार देना मामूली घटना समझी जाती है। अगर महिला इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाये तो रिश्तेदार, मायके वाले तक उसका साथ नहीं देते।
सवाल यह है कि क्यों? क्यों झेलना पड़ता है और क्यों झेलना चाहिए। क्या शादी होने के बाद महिला का कोई आत्मसम्मान नहीं होता। समाज की इसी सोच को बदलने के लिए और उसे आईना दिखाने के लिए फ़िल्म डायरेक्टर अनुभव सिन्हा 28 फरवरी को एक फ़िल्म लेकर आ रहे हैं, जिसका नाम है - ‘थप्पड़’।