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महिला आत्मसम्मान के प्रति समाज के नज़रिये पर सीधी चोट करती है ‘थप्पड़’

फ़िल्म- थप्पड़

डायरेक्टर- अनुभव सिन्हा

स्टार कास्ट- तापसी पन्नू, पावेल गुलाटी, कुमुद मिश्रा, रत्ना पाठक शाह, राम कपूर, तनवी आजमी, माया साराओ

शैली- ड्रामा

रेटिंग- 4/5

बस एक ‘थप्पड़’ ही तो था, इतना तो चलता है। इसी बात का मुँहतोड़ जवाब है डायरेक्टर अनुभव सिन्हा की फ़िल्म ‘थप्पड़’। फ़िल्म को अनुभव सिन्हा और मृणमयी लागू द्वारा लिखा गया है। फ़िल्म में तापसी पन्नू, पावेल गुलाटी, रत्ना पाठक शाह, कुमुद मिश्रा जैसे कई दमदार किरदार हैं। ‘थप्पड़’ जितना आसान ये शब्द लगता है, इसकी गूँज उतनी ज़्यादा होती है। अगर किसी पति-पत्नी के बीच पति-पत्नी पर हाथ उठा दे तो लोगों को कहना होता है कि शादीशुदा ज़िंदगी में इतना तो झेलना ही पड़ता है। इससे ज़ाहिर होता है कि क्या शादीशुदा महिला का कोई आत्म-सम्मान नहीं होता। इसी बात का जवाब फ़िल्म ‘थप्पड़’ में दिया गया है। तो आइये जानते हैं, क्या है फ़िल्म ‘थप्पड़’ में।

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फ़िल्म में क्या है ख़ास?

फ़िल्म ‘थप्पड़’ में पाँच महिलाओं की ज़िंदगी के अंदर चल रही कशमकश और चल रही उलझनों को दिखाया गया है। कोई अपनी शादी में ख़ुश नहीं है तो किसी का पति उसे आए दिन पीटता है। इन सभी के बीच एक है अमृता (तापसी पन्नू) और उसके पति विक्रम (पावेल गुलाटी)। अमृता हाउस वाइफ़ है और विक्रम एक अच्छी कंपनी में जॉब करता है। अमृता का दिन सुबह घर के बाहर से न्यूज़पेपर उठाने से शुरू होता है और दिनभर पति व सास की सेवा और घर के काम में दिन गुज़रता है। अचानक एक दिन पार्टी में विक्रम अमृता पर किसी बात को लेकर उसे थप्पड़ मार देता है। इस थप्पड़ की गूँज अमृता को अंदर तक चोट पहुँचा देती है और वो विक्रम से अलग होने का मन बना लेती है। इस फ़ैसले पर अमृता की माँ संध्या (रत्ना पाठक शाह), पिता (कुमुद मिश्रा) और सास (तन्वी आज़मी) उसे समझाते हैं कि इतनी-सी बात पर पति को नहीं छोड़ा जाता। औरतों को इतना बर्दाश्त करना चाहिए। अमृता सबकी बात सुनती है लेकिन आख़िर में वो क्या फ़ैसला लेती है? क्या अमृता विक्रम को तलाक़ दे देगी या माफ़ कर देगी? अपने आत्मसम्मान के लिए लड़ने वाली अमृता क्या विक्रम को माफ़ कर पायेगी? ये सब जानने के लिए 28 फ़रवरी को रिलीज़ हो रही फ़िल्म ‘थप्पड़’ को देखने पहुँच जाइये।

आत्मसम्मान की लड़ाई

फ़िल्म ‘थप्पड़’ का ट्रेलर देखकर शायद लोगों को लगा हो कि ये घरेलू हिंसा के विषय को लेकर बनाई गई है लेकिन ऐसा नहीं है। फ़िल्म में अपने आत्मसम्मान के लिए लड़ने की कहानी दिखाई गई है। एक महिला फिर वह चाहे माँ, बेटी या पत्नी हो, वह अपने परिवार पर अपने जीवन को समर्पित कर देती है। अपनी कई इच्छाओं को मारकर परिवार का ख्याल रखती है। फिर अचानक कोई सदस्य या कोई पति अपनी पत्नी को थप्पड़ मार दे और ये जताए कि इतना तो चलता है। तो यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता क्योंकि एक महिला का भी अपना आत्मसम्मान होता है और वह एक ‘थप्पड़’ भी बर्दाश्त नहीं करेगी। यही बात इस फ़िल्म में दिखाई गई है कि कोई भी किसी भी महिला को थप्पड़ नहीं मार सकता। हर महिला का अपना आत्मसम्मान होता है अपनी ख़ुशी होती है, जिसे कोई भी चोट नहीं पहुँचा सकता।

thappad film review women - Satya Hindi

कलाकारों की अदाकारी

तापसी पन्नू ने अपने किरदार को बख़ूबी निभाया है और हर सीन में वह परफ़ेक्ट दिखी हैं। पावेल गुलाटी जो कि फ़िल्म ‘थप्पड़’ से डेब्यू कर रहे हैं उनकी एक्टिंग भी शानदार है। इसके अलावा फ़िल्म में मौजूद सभी अभिनेता जैसे कुमुद मिश्रा, रत्ना पाठक शाह, दीया मिर्जा, तन्वी आज़मी, माया साराओ, नायला ग्रेवाल, मानव कौल और राम कपूर सभी ने दमदार एक्टिंग की है।

डायरेक्शन

इसमें कोई शक नहीं कि डायरेक्टर अनुभव सिन्हा हर बार एक नए विषय के साथ वापसी करते हैं और दर्शकों को हैरान कर देते हैं। इस बार भी उन्होंने फ़िल्म ‘थप्पड़’ के जरिए उन लोगों को जवाब दिया है जो महिलाओं के आत्म-सम्मान को कुछ समझते नहीं है। अनुभव सिन्हा ने फ़िल्म का डायरेक्शन काफी बेहतरीन तरीके से किया है।

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क्यों देखें फ़िल्म?

फ़िल्म ‘थप्पड़’ समाज को आईना दिखाती है। इसमें घरेलू हिंसा को नहीं दिखाया गया है बल्कि महिलाओं के आत्मसम्मान को कुछ न समझने वालों की असलियत दिखाई गई है। ऐसे विषयों पर फ़िल्में कम बनती है इस लिहाज़ से फ़िल्म को आप एक बार देख सकते हैं। फ़िल्म ‘थप्पड़’ से बेहद दमदार मैसेज दिया गया है। इसके अलावा फ़िल्म में सभी स्टार्स ने अच्छी एक्टिंग की है।

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क्यों न देखें फ़िल्म?

अगर आपको डार्क फ़िल्में यानी सीरीयस टाइप की फ़िल्में पसंद नहीं हैं तो फ़िल्म ‘थप्पड़’ आपको बोर कर सकती है, क्योंकि फिर यह फ़िल्म आपके लिए नहीं है। इसके अलावा फ़िल्म थोड़ी-सी लंबी बनाई गई है इसलिए भी आप फ़िल्म ‘थप्पड़’ से बोर हो सकते हैं।

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दीपाली श्रीवास्तव
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