मैं जवान होते राज कपूर के भीतर गुदगुदी के अहसास की बात कर रहा था। उन्हें हेमा तो नहीं मिली, लेकिन कृष्णा मिल गई। सुंदर और मांसल देह वाली महिलाएँ उन्हें हमेशा आकर्षित करती थीं। सोलह या सत्रह साल के रहे होंगे। हेमा तब उनकी ज़िंदगी में नहीं आई थी। उससे पहले भी चौदह साल की एक लड़की के प्यार में वे पागल हो गए थे। लड़की के परिवार और राज कपूर के परिवार में गहरी दोस्ती थी।
राज कपूर : दूसरी कड़ी : आख़िर कृष्णा से कैसे मिले राज कपूर?
- सिनेमा
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- 13 Jun, 2021

वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल महान फ़िल्मकार राज कपूर के बारे में लिख रहे हैं। उनकी कलम राज कपूर की शख़्सियत हमारे सामने तो रख ही रही है, साथ वह कुछ ऐसे अनछुए पहलुओं को भी उजागर कर रही है जो हमे शायद पहले से न पता रहा हो। कई किश्तों में पेश हैं राज कपूर। दूसरी कड़ी।
दोस्ती को देखकर दोनों परिवारों ने तय किया कि उनकी शादी कर दी जाए। लेकिन लड़की का पिता चाहता था कि राज कपूर घर जँवाई बन जाए क्योंकि उस परिवार का लाखों का कारोबार था और लड़की इकलौती थी। लड़की का पिता चाहता था कि राज कपूर उसका कारोबार संभाल लें। लेकिन तब तक राज कपूर को नाटकों की लत लग गई थी।
उन्होंने कहा, 'मैं घर जँवाई नहीं बन सकता। मैं तो एक्टिंग में करियर बनाऊँगा।' सगाई होते होते टूट गई। इसके बाद राज कपूर उस लड़की से मिलने गए। उस लड़की ने ठेंगा दिखाते हुए कहा, 'ये गलियां ,ये चौबारा, यहाँ आना न दोबारा।'
ये पंक्तियाँ और ठेंगा दिखाने की अदा राज कपूर के दिमाग़ में कुछ ऐसी दर्ज़ हुई कि चालीस - पैंतालीस साल बाद 'प्रेम रोग' फ़िल्म में दिखाई दी।