उस दिन पुणे में था। शायद सितंबर 2019 का महीना था। एमआईटी विश्वविद्यालय के बुलावे पर गया था। कार्यक्रम से फ़ुर्सत मिली तो हिंदुस्तान के सबसे बड़े शोमैन राज कपूर के घर चला गया। आज राज कपूर तो ज़िंदा नहीं हैं, लेकिन पुणे के लोनी में कोई 120 एकड़ का ज़र्रा- ज़र्रा आज भी कपूर खानदान की खुशबू से महकता है।
राज कपूर : जो पहली ही मुहब्बत में नाकाम रहे!
- सिनेमा
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- 29 Mar, 2025

वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल महान फ़िल्मकार राज कपूर के बारे में लिख रहे हैं। उनकी कलम राज कपूर की शख़्सियत हमारे सामने तो रख ही रही है, साथ वह कुछ ऐसे अनछुए पहलुओं को भी उजागर कर रही है जो हमे शायद पहले से न पता रहा हो। कई किश्तों में पेश हैं राज कपूर। पहली कड़ी।
अरसे तक पूरे परिवार के लिए यह मंदिर से कम नही था। जब नीली आंखों वाला यह जादूगर दुनिया को अलविदा कह गया तो कपूर परिवार के लिए इस विरासत को संभालना एक चुनौती से कम नहीं था ।
कपूर परिवार ने इसके लिए एमआईंटी परिवार के मुखिया विश्वनाथ कराड का चुनाव किया। कपूर खानदान चाहता था कि शैक्षणिक यज्ञ में शामिल किसी नेक इरादे वाले समूह को इसकी चाबी सौंपी जाए। विश्वनाथ जी ने इस परिसर में न केवल राज कपूर की यादों को सहेजा है, बल्कि उसे आगे भी बढ़ाया है।