सदाबहार नीरज एक ऐसे गीतकार हैं, जिनका राज कपूर से बेहद आत्मीय रिश्ता रहा। इस सिलसिले की शुरुआत कानपुर में हुई थी। बात 1953 की है। तब पृथ्वीराज कपूर अपने पृथ्वी थिएटर का शो लेकर कानपुर आए थे। वे रोज़ अपने नाटक के दो शो करते थे। उन दिनों नीरज कवि सम्मेलनों के स्टार थे। लेकिन तब वे नीरज के नाम से नहीं जाने जाते थे। उनका नाम था - भावुक इटावी।
राज कपूर : चौथी कड़ी : जब शो मैन ने सबके सामने गीतकार नीरज के पाँव छू लिए!
- सिनेमा
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- 16 Jun, 2021

सदाबहार नीरज एक ऐसे गीतकार हैं, जिनका राज कपूर से बेहद आत्मीय रिश्ता रहा। इस सिलसिले की शुरुआत कानपुर में हुई थी।
जनाब भावुक इटावी के नाम से लोग उमड़ पड़ते थे। पृथ्वीराज कपूर ने उनके बारे में सुना तो पुत्र राज कपूर के साथ कवि सम्मेलन में जा पहुँचे। जनाब भावुक इटावी उर्फ़ नीरज को कम से कम तीन घंटे तो अपने गीत सुनाने ही पड़ते थे। कपूर पिता - पुत्र तीन घंटे वहाँ डटे रहे।
जब कवि सम्मेलन समाप्त हो गया तो राज कपूर ने नीरज से अपनी फ़िल्म को लिए गीत लिखने का निमंत्रण दिया। नीरज ने साफ़ मना कर दिया। बोले ,'भाई ! तुम अपनी फील्ड के हीरो हो। मैं अपनी फील्ड का हीरो हूँ। फ़िल्मों में क्या लिखूंगा?'