राज्यसभा टीवी और लोकसभा टीवी अब नहीं हैं। पंद्रह सितंबर की शाम से इनका प्रसारण बंद हो गया। बताया गया है कि इन दोनों चैनलों का विलय कर दिया गया है और एक नया संसद टीवी चैनल आकार ले रहा है। नए चैनल का स्वागत है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
क्यों बंद कर दिये गये राज्यसभा और लोकसभा चैनल?
- विचार
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- 16 Sep, 2021

हमने चार पाँच वर्क स्टेशन, किराए की पाँच कैमरा यूनिट, पाँच एडिटिंग मशीन और इतनी ही टैक्सियों के सहारे एक छोटे सरकारी मकान से चैनल का सफ़र शुरू किया था। बमुश्किल तीस पैंतीस लोग थे और और हमारा अपना स्टूडियो भी नहीं था। उस शुरुआत से हमने लोगों के दिलों को जीता।
सवाल यह है कि क्या दो चैनलों का विलय हो सकता है? घर की दुकान है तो कर लीजिए, वरना क़ानूनन तो संभव नहीं है। हक़ीक़त यह है कि दो चैनल बंद हो रहे हैं और एक नया चैनल शुरू होने जा रहा है। इन तीन चैनलों के तीन अलग-अलग लाइसेंस हैं। श्रेणियाँ भी अलग-अलग हैं। कोई ग़ैर सरकारी कंपनी अपने दो चैनलों का विलय करना चाहती तो सूचना प्रसारण मंत्रालय के नियम उसे रोक देते। ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है। नियमों में संशोधन हुआ नहीं है। संसद में विलय संबंधी नियमावली मंज़ूर कराए बिना यह हो सकता है? अजीब सी बात है। लेकिन जब सारी संवैधानिक संस्थाओं पर घने काले बादल मंडरा रहे हों तो संसदीय चैनल किस खेत की मूली हैं।