सर्वोच्च न्यायालय ने पेगासस मामले में विशेषज्ञ समिति का गठन कर यक़ीनन लोगों का भरोसा जीता है। कुछ समय पहले तक इस संस्था की गरिमा पर सवाल उठ रहे थे। लेकिन हालिया दिनों में एक बार फिर अवाम की आस बंधी है। आठ सप्ताह का समय बहुत लंबा नहीं है और यह देश चाहता है कि वास्तव में उसकी निजता का उल्लंघन करने वाले इस ख़तरनाक तंत्र की असल कहानी सामने आए। हालाँकि यह काम उतना सरल नहीं है, जितना माना जा रहा है।
पेगासस जाँच: समिति के सामने होगी ढेरों चुनौतियाँ!
- विचार
- |
- |
- 28 Oct, 2021

पेगासस मामले में जाँच के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने समिति का गठन तो कर दिया, लेकिन क्या यह जाँच इतनी आसान है? यदि सरकार ने जाँच में सहयोग नहीं किया तो समिति के सामने क्या मुश्किलें आएँगी?
अगर कोई सरकार नहीं चाहती कि उसका कोई ख़ास कृत्य मुल्क के सामने उजागर हो तो किसी भी लोकतांत्रिक संस्था के लिए सच्चाई का पता लगाना नामुमकिन नहीं पर कठिन अवश्य हो जाता है। सर्वोच्च न्यायालय के पास कोई दैवीय चमत्कारिक अधिकार तथा शक्तियाँ नहीं हैं। उसे मामले की तह तक जाने के लिए सरकार के मातहत मंत्रालयों और नौकरशाही पर ही निर्भर रहना पड़ेगा।