ललन सिंह का जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना क़तई अप्रत्याशित नहीं था। हालाँकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस फ़ैसले ने बहुत सारे लोगों को चौंकाया। सियासी पंडित के सारे कयास धरे रह गए थे। मीडिया का आकलन भी फ़ेल हो गया और जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने आम राय से ललन सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया।
क्या ललन सिंह आरसीपी सिंह का काम लगा देंगे?
- बिहार
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- 5 Aug, 2021

नीतीश कुमार ने ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का मन पहले ही बना लिया था। ललन सिंह के नाम का औपचारिक एलान भले 31 जुलाई को हुआ हो, लेकिन इसकी पटकथा तो सात जुलाई को ही लिखी गई।
सात महीने पहले भी नीतीश कुमार ने चौंकाया था। तब उन्होंने खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को त्यागा था और एक तरह से सियासत के लिए नए आरसीपी सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना डाला था। उनके फ़ैसले पर किसी ने एतराज़ भले न जताया हो लेकिन आरसीपी सिंह की पृष्ठभूमि की वजह से लंबे अरसे से सियासत कर रहे जदयू नेताओं को यह फ़ैसला सही नहीं लगा था। अब नीतीश कुमार ने अपने उस फ़ैसले को सही कर लिया है। सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा है कि आरसीपी सिंह ने बीजेपी नेताओं से बातचीत में पार्टी के किसी दूसरे सांसद का नाम देने की बजाय खुद का नाम दिया और मंत्री बन गए। ललन सिंह मंत्री बनने की रेस में सबसे आगे थे। वे आरसीपी सिंह की वजह से इस रेस में पिछड़ गए। जाहिर है कि ललन सिंह इससे आहत हुए थे और नीतीश कुमार भी सकते में थे। इसके बाद ही नीतीश कुमार ने ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का मन बना लिया था। ललन सिंह के नाम का औपचारिक एलान भले 31 जुलाई को हुआ हो, लेकिन इसकी पटकथा तो सात जुलाई को ही लिखी गई।