भारतीय खेल इतिहास की स्वर्णिम तारीख़ है 26 मई, 1928 का दिन। इस दिन भारतीय हॉकी टीम ने अपने पहले ओलंपिक पदार्पण में ही स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा था। यही वह तारीख़ है जब एम्स्टर्डम ओलंपिक हॉकी फाइनल मैच में ध्यानचंद की स्टिक से निकले गोलों से भारत ने हॉकी में स्वर्ण पदक जीत कर गुलामी के उन दिनों में भारतीयों को गर्व से भर दिया था।
ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का वह पहला स्वर्ण
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- 24 Jul, 2021

भारतीय खेल इतिहास की स्वर्णिम तारीख़ है 26 मई, 1928 का दिन। इस दिन भारतीय हॉकी टीम ने अपने पहले ओलंपिक पदार्पण में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा था।
इस जीत ने देश में खेलों का नया इतिहास रचा और जिसे याद करते हुए हम आज भी गर्व से भर जाते हैं। लेकिन जीत आसान नहीं रही थी। एम्स्टर्डम ओलंपिक में फाइनल से पहले भारतीय टीम कई तरह की परेशानी से घिर गई थी।
मैच से पहले भारतीय हॉकी टीम के कप्तान की गैरमौजूदगी, फिर केहर सिंह गिल के घुटने में चोट, फिरोज खान की उल्टे हाथ की कॉलर बोन का टूटना, शौकत अली का तेज फ्लू से पीड़ित होना यानी पंद्रह खिलाड़ियों की टीम घटकर मात्र 11 खिलाड़ियों की बच गई थी। फिर मेजर ध्यानचंद को भी तेज बुखार ने जकड़ लिया। भारतीय खेमे में इससे मायूसी छा गई थी। टीम प्रबंधन के हाथ-पांव भी फूल गए थे। फाइनल का दबाव और तनाव।