भारत के कप्तान रोहित शर्मा और अश्विन में एक समानता है। जो मन में है उसे बोलने में दोनों एक क्षण भी नहीं हिचकिचाते। ब्रिसबेन टेस्ट के अंतिम दिन ड्रॉ के बाद पत्रकार परिषद में अश्विन ने रोहित की उपस्थिति में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बिदाई की घोषणा की। दिलचस्प यह है कि रोहित ने अपने पहले ही क्रिकेट मैच में जो शतक जमाया था, तब नॉन-स्ट्राइकिंग छोर पर अश्विन ही थे। ब्रिसबेन में हालाँकि अश्विन ने पत्रकारों के प्रश्नों के उत्तर नहीं दिए लेकिन रोहित ने बग़ैर संकोच के कहा कि 106 मैचों में 537 विकेट लेने वाले अश्विन को ऑस्ट्रेलिया दौरे की शुरुआत से ही यह लगने लगा था कि अब भारतीय टीम को उनकी ज़रूरत नहीं है। खुद्दार अश्विन ने यही बेहतर समझा कि बजाय टीम के साथ लटके रहने के, टीम को और क्रिकेट को अलविदा कह दें। वह उन्होंने कर दिया।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अश्विन की निराश विदाई!
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- 19 Dec, 2024

इसमें दो मत नहीं कि अश्विन को भारतीय क्रिकेट में वो इज्जत नहीं मिली, जिसके वो हक़दार थे। तो क्या खिलाड़ी के तौर पर उनमें कुछ कमी थी? जानिए, आख़िर उनकी प्रतिभा किस स्तर की थी।
एक समय था, विश्व क्रिकेट में भारत की स्पिन चौकड़ी की धाक थी। एक स्तरीय तेज गेंदबाज़ के अभाव में हालत यह भी थी कि पाँचवें- छठे ओवर में ही स्पिन गेंदबाज़ को बुलाना पड़ता था। उस चौकड़ी में दक्षिण के दो ऑफ़ स्पिन गेंदबाज़ प्रसन्ना और वेंकट राघवन सम्मिलित थे। प्रसन्ना एक आक्रामक, सामान्य से ज़्यादा उछाल दे कर बल्लेबाज़ को ललचा कर अपने जाल में फँसाने वाले तो वेंकट अचूक गेंदबाज़ी, असीमित धैर्य और समय आने पर बल्लेबाज़ी भी करने वाले। रविचंद्रन अश्विन ऑफ़ स्पिन गेंदबाज़ी में प्रसन्ना और वेंकट राघवन का आदर्श मिश्रण रहे। प्रसन्ना जैसा आक्रमण, वेंकट का धैर्य और उन दोनों की तरह इनजीनियरिंग दिमाग़ (जी हाँ, ये तीनों ही उच्च शिक्षा प्राप्त इंजीनियर हैं) के कारण ही 106 मैचों में 537 विकेट के साथ टेस्ट में भारत के लिए दूसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज के रूप में खेल से संन्यास ले लिया। उनकी महत्ता इससे भी समझी जा सकती है कि सबसे कम पारियों में 300 टेस्ट विकेट लेने का रिकॉर्ड उनके नाम है।
आशुतोष देशमुख वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक हैं। वे लंबे समय से खेल पर लिखते और कमेंट्री भी करते रहे हैं।