क़रीब पाँच-छह साल पहले मशहूर तीरंदाज़ लिंबा राम से मिलने डूंगरपुर जाना हुआ था। तब लिंबा वहाँ खेल अधिकारी के तौर पर तैनात थे। लिंबा से पुराना याराना था। कोलकाता में ट्रेनिंग के दौरान लिंबा के साथ घंटों चकल्लस करते थे। वे सहज और सरल थे लेकिन भारतीय तीरंदाज़ी का चेहरा उन्होंने बदला। डूंगरपुर में वह लहक कर मिले। पत्नी भी मिलीं। लगा बरसों के बिछड़े संगतिया मिल बैठे हैं। पत्नी से पहली बार मिलना हुआ था। उनके छोटे से घर के रख-रखाव को देख कर लगा कि लिंबा की पत्नी ईसाई हैं। फिर लिंबा के साथ हम लोगों ने चाय पी। उन्हें हल्दीघाटी में होने वाले मैराथन में हिस्सा लेने का न्यौता दिया।