क़रीब पाँच-छह साल पहले मशहूर तीरंदाज़ लिंबा राम से मिलने डूंगरपुर जाना हुआ था। तब लिंबा वहाँ खेल अधिकारी के तौर पर तैनात थे। लिंबा से पुराना याराना था। कोलकाता में ट्रेनिंग के दौरान लिंबा के साथ घंटों चकल्लस करते थे। वे सहज और सरल थे लेकिन भारतीय तीरंदाज़ी का चेहरा उन्होंने बदला। डूंगरपुर में वह लहक कर मिले। पत्नी भी मिलीं। लगा बरसों के बिछड़े संगतिया मिल बैठे हैं। पत्नी से पहली बार मिलना हुआ था। उनके छोटे से घर के रख-रखाव को देख कर लगा कि लिंबा की पत्नी ईसाई हैं। फिर लिंबा के साथ हम लोगों ने चाय पी। उन्हें हल्दीघाटी में होने वाले मैराथन में हिस्सा लेने का न्यौता दिया।
जाति न पूछो खिलाड़ी की...
- खेल
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- 20 Jul, 2021

दीपिका कुमारी ने हाल ही में तीरंदाज़ी में बेहतरीन प्रदर्शन किया और कई स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीता। इस जीत के बाद दीपिका की जाति को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई कइयों में। हर किसी को उन्हें अपनी जाति का बताने की होड़ थी।
इससे पहले जयपुर में हम मशहूर धावक श्रीराम सिंह और सपना पूनिया से भी मिल कर आए थे। मेरे साथ अमित किशोर और मलय सौरभ भी थे। लिंबा से मुलाक़ात का ज़िक्र ज़रूरी इसलिए लगा कि आज खिलाड़ियों को जातियों में बाँटने की नई परंपरा शुरू हुई है। अपनी-अपनी जाति के खिलाड़ियों को लेकर सोशल मीडिया पर उनका ख़ूब महिमामंडन किया जाता है। हालाँकि हमने न कभी लिंबा से पूछा कि उनका ताल्लुक किस जाति से है और न ही श्रीराम सिंह और सपना से, न ही दूसरे खिलाड़ियों से।