77 साल के जदानंद सिंह इतने लंबे समय लालू प्रसाद के साथ रहे हैं कि उनके बारे में यह मान लेना कि वे आरजेडी से अलग हो जाएंगे, असंभव सा लगता है लेकिन राजनीति में संबंधों के बीच जब परिवार आ जाए तो बहुत कुछ नहीं चाहते हुए भी करना पड़ता है। फिलहाल आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष पद से उनके इस्तीफे की बात हवा में तैर रही है जिसे जगदानंद सिंह खुद न तो खारिज कर रहे हैं और न ही स्वीकार कर रहे हैं। उनकी यह लुकाछिपी राजद के लिए सिरदर्द बनी हुई है।

राष्ट्रीय जनता दल में जगदानंद सिंह को लेकर अलग-अलग कयास क्यों लगाए जा रहे हैं? क्या वह पार्टी से अलग होने का विचार कर रहे हैं? क्या वह ऐसा कर सकते हैं?
याद रखने की बात यह है कि दिवंगत रघुवंश प्रसाद सिंह के बाद आरजेडी के पास क्षत्रिय समाज का कोई और बड़ा लीडर नहीं है। इसलिए आरजेडी के लिए जगदानंद सिंह को किनारे लगाना आसान नहीं जान पड़ता। दूसरी तरफ़ जगदानंद सिंह का आरजेडी से इतना पुराना नाता है कि वे इस आशियाने को छोड़कर कहीं और आशियाना नहीं बनाना चाहते।